वक्त
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
Gujarati Poetry | The best of Gujarati kavita & poet | RekhtaGujarati
जिंदगी के आईने को चश्मे से देखा मैंने,
आदमी कई दफ़ा झूठ बोलता है,
इंसान इंसानियत को निगल गया है
सपने हो जाएंगे साकार
Sandhya Chaturvedi(काव्यसंध्या)
Nothing can replace consistency and hardwork.somebody may gu
आईने की सदाकत से पता चला,
मैं हूं वही तुम्हारा मोहन
कावड़ मैं लाऊँगा- भजन -रचनाकार -अरविंद भारद्वाज
दशमेश गुरु गोविंद सिंह जी
चचा बैठे ट्रेन में [ व्यंग्य ]
कुछ हम निभाते रहे, कुछ वो निभाते रहे
जो हमें क़िस्मत से मिल जाता है