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8 Dec 2023 · 1 min read

प्रेम उतना ही करो

प्रेम उतना ही करो

प्रेम उतना ही करो,
जिसमें हृदय खुश रहे।
मास्तिष्क को मानसिक पीड़ा ना हो।

प्रेम में त्याग हो,
प्रेम में विश्वास हो,
प्रेम में सच्चाई हो।

प्रेम में भेदभाव ना हो,
प्रेम में ईर्ष्या ना हो,
प्रेम में घृणा ना हो।

प्रेम में सबका साथ हो,
प्रेम में सबका सम्मान हो,
प्रेम में सबका प्यार हो।

प्रेम में दुनिया बदल सकती है,
प्रेम में शांति आ सकती है,
प्रेम में खुशहाली आ सकती है।

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