अभाव और कमियाँ ही हमें जिन्दा रखती हैं।
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
महानायक दशानन रावण/ mahanayak dashanan rawan 01 by karan Bansiboreliya
मेरे दिल के खूं से, तुमने मांग सजाई है
टूट जाते हैं वक़्त आने पर,
कैसे यक़ीन दिलाऊं कि मैं तो बस तेरा हूॅं...
*बच्चे-जैसे हम बनें, प्रभु जी दो वरदान (कुंडलिया)*
#पितरों की आशीष
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
क़त्ल होंगे तमाम नज़रों से...!
आधुनिक टंट्या कहूं या आधुनिक बिरसा कहूं,
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
आंसूओ को इस तरह से पी गए हम
मां को शब्दों में बयां करना कहां तक हो पाएगा,