Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 Aug 2023 · 3 min read

*।। मित्रता और सुदामा की दरिद्रता।।*

☘🌱☘🌱☘🌱☘🌱☘🌱☘

एक ब्राह्मणी थी जो बहुत निर्धन थी। भिक्षा माँग कर जीवन-यापन करती थी।
एक समय ऐसा आया कि पाँच दिन तक उसे भिक्षा नहीं मिली। वह प्रति दिन पानी पीकर भगवान का नाम लेकर सो जाती थी।
छठवें दिन उसे भिक्षा में दो मुट्ठी चने मिले। कुटिया पर पहुँचते-पहुँचते रात हो गयी।
ब्राह्मणी ने सोचा अब ये चने रात मे नही खाऊँगी प्रात:काल वासुदेव को भोग लगाकर खाऊँगी।
यह सोचकर ब्राह्मणी ने चनों को कपडे़ में बाँधकर रख दिया और वासुदेव का नाम जपते-जपते सो गयी।
देखिये समय का खेल…
कहते हैं…
पुरुष बली नहीं होत है, समय होत बलवान।
ब्राह्मणी के सोने के बाद कुछ चोर चोरी करने के लिए उसकी कुटिया मे आ गये।
इधर उधर बहुत ढूँढा, चोरों को वह चनों की बँधी पोटली मिल गयी। चोरों ने समझा इसमें सोने के सिक्के होंगे।
इतने मे ब्राह्मणी जाग गयी और शोर मचाने लगी।
गाँव के सारे लोग चोरों को पकडने के लिए दौडे़। चोर वह पोटली लेकर भागे।
पकडे़ जाने के डर से सारे चोर संदीपन मुनि के आश्रम में छिप गये।
संदीपन मुनि का आश्रम गाँव के निकट था जहाँ भगवान श्री कृष्ण और सुदामा शिक्षा ग्रहण कर रहे थे…
गुरुमाता को लगा कि कोई आश्रम के अन्दर आया है। गुरुमाता देखने के लिए आगे बढीं तो चोर समझ गये कि कोई आ रहा है,
चोर डर गये और आश्रम से भागे ! भागते समय चोरों से वह पोटली वहीं छूट गयी। और सारे चोर भाग गये।
इधर भूख से व्याकुल ब्राह्मणी ने जब जाना कि उसकी चने की पोटली चोर उठा कर ले गये तो ब्राह्मणी ने श्राप दे दिया कि मुझ दीनहीन असहाय के चने जो भी खायेगा वह दरिद्र हो जायेगा।
उधर प्रात:काल गुरु माता आश्रम मे झाडू़ लगाने लगीं तो झाडू लगाते समय गुरु माता को वही चने की पोटली मिली ।
गुरु माता ने पोटली खोल कर देखी तो उसमे चने थे।
सुदामा जी और कृष्ण भगवान जंगल से लकडी़ लाने जा रहे थे। (रोज की तरह) गुरु माता ने वह चने की पोटली सुदामा जी को दे दी।
और कहा बेटा, जब वन मे भूख लगे तो दोनो लोग यह चने खा लेना।
सुदामा जी जन्मजात ब्रह्मज्ञानी थे। ज्यों ही चने की पोटली को सुदामा जी ने हाथ में लिया त्यों ही उन्हे सारा रहस्य मालुम हो गया।
सुदामा जी ने सोचा गुरु माता ने कहा है यह चने दोनों लोग बराबर बाँट के खाना लेकिन ये चने अगर मैंने त्रिभुवनपति श्री कृष्ण को खिला दिये तो सारी सृष्टि दरिद्र हो जायेगी।
नहीं-नहीं मैं ऐसा नही करुँगा। मेरे जीवित रहते मेरे प्रभु दरिद्र हो जाये मै ऐसा कदापि नही होने दूँगा।
मैं ये चने स्वयं खा जाऊँगा लेकिन कृष्ण को नहीं खाने दूँगा और सुदामा जी ने सारे चने खुद खा लिए।
दरिद्रता का श्राप सुदामा जी ने स्वयं ले लिया। चने खाकर। लेकिन अपने मित्र श्री कृष्ण को एक भी दाना चना नही दिया। ऐसे होते हैं मित्र…
मित्रों! आपसे निवेदन है कि अगर मित्रता करें तो सुदामा जी जैसी करें और कभी भी अपने मित्रों को धोखा ना दें..

☘🌱☘🌱☘🌱☘🌱☘🌱☘

2 Likes · 859 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

कहने वाले बिल्कुल सही कहा करते हैं...
कहने वाले बिल्कुल सही कहा करते हैं...
Priya Maithil
शीर्षक -तेरे जाने के बाद!
शीर्षक -तेरे जाने के बाद!
Sushma Singh
*चलते रहे जो थाम, मर्यादा-ध्वजा अविराम हैं (मुक्तक)*
*चलते रहे जो थाम, मर्यादा-ध्वजा अविराम हैं (मुक्तक)*
Ravi Prakash
मैं कौन
मैं कौन
Dr.Priya Soni Khare
कुछ अजीब है यह दुनिया यहां
कुछ अजीब है यह दुनिया यहां
Ranjeet kumar patre
रूठ जाता है
रूठ जाता है
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
4320.💐 *पूर्णिका* 💐
4320.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
शे
शे
*प्रणय प्रभात*
ओढ़ कर पन्नी की चादर सो गया ग़रीब सर्दी में ,
ओढ़ कर पन्नी की चादर सो गया ग़रीब सर्दी में ,
Neelofar Khan
मुझको मिट्टी
मुझको मिट्टी
Dr fauzia Naseem shad
हंसती हुई लड़की को रुला गया है कोई।
हंसती हुई लड़की को रुला गया है कोई।
Madhu Gupta "अपराजिता"
ठीक है
ठीक है
Neeraj Kumar Agarwal
**  मुक्तक  **
** मुक्तक **
surenderpal vaidya
If you're brave enough to say goodbye, life will reward you
If you're brave enough to say goodbye, life will reward you
पूर्वार्थ
सिन्दूर  (क्षणिकाएँ ).....
सिन्दूर (क्षणिकाएँ ).....
sushil sarna
बड़े समय के बाद हम रुख में आ रहे हैं
बड़े समय के बाद हम रुख में आ रहे हैं
दीपक बवेजा सरल
शीर्षक: पापी मन
शीर्षक: पापी मन
Harminder Kaur
मैंने कब चाहा जमाने की खुशियां  मिलें मुझको,
मैंने कब चाहा जमाने की खुशियां मिलें मुझको,
इंजी. संजय श्रीवास्तव
पहली चाय
पहली चाय
Ruchika Rai
फितरत की कहानी
फितरत की कहानी
प्रदीप कुमार गुप्ता
गांव का घर
गांव का घर
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मांँ
मांँ
Diwakar Mahto
आकर्षण का नियम
आकर्षण का नियम
महेश चन्द्र त्रिपाठी
जिंदगी के और भी तो कई छौर हैं ।
जिंदगी के और भी तो कई छौर हैं ।
अश्विनी (विप्र)
आप तनाव में तनिक मत रहो,
आप तनाव में तनिक मत रहो,
Ajit Kumar "Karn"
अलगौझा
अलगौझा
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
हो सके तो फिर मेरे दिल में जगह बनाकर देख ले
हो सके तो फिर मेरे दिल में जगह बनाकर देख ले
Jyoti Roshni
अगर, आप सही है
अगर, आप सही है
Bhupendra Rawat
दोहा -: कहें सुधीर कविराय
दोहा -: कहें सुधीर कविराय
Sudhir srivastava
" सहोदर "
Dr. Kishan tandon kranti
Loading...