बड़े समय के बाद हम रुख में आ रहे हैं
बड़े समय के बाद हम रुख में आ रहे हैं
कुछ लोग हमारे लिए रास्ते सुझा रहे हैं
कहां सोया है जमीर ए चौकीदार हमारा
कैसे-कैसे लोग हमें नौकरी पर लगा रहे हैं
कवि दीपक सरल
बड़े समय के बाद हम रुख में आ रहे हैं
कुछ लोग हमारे लिए रास्ते सुझा रहे हैं
कहां सोया है जमीर ए चौकीदार हमारा
कैसे-कैसे लोग हमें नौकरी पर लगा रहे हैं
कवि दीपक सरल