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12 Oct 2024 · 1 min read

रतन टाटा जी की बात थी खास

तुम दानवीर ,तुम में है धीर,
शिद्दत से साधा है तुमने तीर,
ओढ़े कफन हो तुम रतन,
कुदरत से तेरा अटूट बंधन।

श्रद्धा सुमन अर्पित है तुझे,
शांति से तुमने पढ़ा है पीर,
सदियो से कोई खोया है आज,
दे कर कुटुंब को अपना प्यार।

अहम नहीं किया जीवन पर्यन्त,
अमर अजर है भारत का रतन,
तज कर गया करोड़ों बिन चाह,
देता रहा जो बनाने की राह।

धन्य है धरा जो जन्मा ऐसा लाल,
रतन टाटा जी की बात थी खास,
जीना कहते है इसी का नाम,
ओझल नहीं हुए आँखों से आज।

रचनाकार –
बुद्ध प्रकाश
मौदहा हमीरपुर।

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