मैंने कब चाहा जमाने की खुशियां मिलें मुझको,
मैंने कब चाहा जमाने की खुशियां मिलें मुझको,
एक तेरा साथ ही काफी है मेरे खुश रहने के लिए।
इंजी संजय श्रीवास्तव
बालाघाट मध्यप्रदेश
मैंने कब चाहा जमाने की खुशियां मिलें मुझको,
एक तेरा साथ ही काफी है मेरे खुश रहने के लिए।
इंजी संजय श्रीवास्तव
बालाघाट मध्यप्रदेश