Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
31 Jul 2023 · 2 min read

कलेक्टर से भेंट

कलेक्टर से भेंट

नये कलेक्टर ने कार्यभार ग्रहण करने के तुरंत बाद ही आगंतुकों से भेंट करने का समय सुबह दस से ग्यारह बजे को बदलकर दोपहर को दो से तीन बजे तक कराया। इस बदलाव के संबंध में उनका तर्क था कि दूरदराज इलाकों से लोग उनसे मिलने आते हैं। अक्सर बस या ट्रेन लेट होने के कारण वे समय पर नहीं पहुंच पाते। मुलाकात के लिए दोपहर का समय नियत किए जाने से उन लोगों को थोड़ी सुविधा होगी।

तत्काल साहब के आदेश का पालन हुआ।
कलेक्टर साहब से मिलने के इच्छुक लोगों की पर्ची दोपहर डेढ़ बजे तक उनके निज सहायक द्वारा जमा करा लिया जाता।

ठीक पौने दो बजे तक वह जमा पर्ची कलेक्टर साहब की टेबल पर रख दिया जाता। वे स्वयं एक-एक पर्ची को पढ़ते और उस पर सीरियल नंबर डाल देते। उनका निज सहायक उसी क्रम से मुलाकातियों को कलेक्टर साहब के चैंबर में भेजता जाता।

निज सहायक यह देखकर चकित रह जाता कि बड़े-बड़े नेताओं और अधिकारियों की बजाय कलेक्टर साहब दूरदराज के क्षेत्रों से आए हुए ग्रामीणों से पहले मुलाकात करते हैं।

एक दिन साहब का मूड अच्छा देखकर उसने कलेक्टर साहब से इसका कारण पूछ ही लिया। तब साहब ने बताया, “गांव-देहात के साधारण और दीन-हीन लोग बड़ी मुश्किल से यहां तक पहुंच पाते हैं। उन्हें जल्दी ही वापस भी जाना होता है। नेता, मंत्री और अधिकारियों से बातचीत अक्सर लंबी चलती है, जबकि ग्रामीण इलाकों से आए लोगों से भेंट करने में महज दो-तीन मिनट ही लगते हैं। इसलिए पहले ग्रामीणों से भेंट करता हूं। नेता, मंत्री और अधिकारियों को आवश्यकतानुसार देर तक भी रोका जा सकता है, लेकिन दूरदराज से आए हुए ग्रामीणों को यूं ही नहीं रोक सकते।”

कलेक्टर साहब की बात सुनकर निज सहायक के मन में उनके प्रति इज्ज़त और भी बढ़ गई।

– डॉ प्रदीप कुमार शर्मा
रायपुर, छत्तीसगढ़

461 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

प्यास की आश
प्यास की आश
Gajanand Digoniya jigyasu
■निरुत्तर प्रदेश में■
■निरुत्तर प्रदेश में■
*प्रणय प्रभात*
पहला प्यार
पहला प्यार
Shekhar Chandra Mitra
#ਹੁਣ ਦੁਨੀਆ 'ਚ ਕੀ ਰੱਖਿਐ
#ਹੁਣ ਦੁਨੀਆ 'ਚ ਕੀ ਰੱਖਿਐ
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
सपने
सपने
surenderpal vaidya
अकेलापन
अकेलापन
Mansi Kadam
Pilgrimage
Pilgrimage
Meenakshi Madhur
काम रहेगें जब तक जग में, होगे ही रे पाप।
काम रहेगें जब तक जग में, होगे ही रे पाप।
संजय निराला
सिलसिला शायरी से
सिलसिला शायरी से
हिमांशु Kulshrestha
है हर इक ख्वाब वाबस्ता उसी से,
है हर इक ख्वाब वाबस्ता उसी से,
Kalamkash
बुलंदियों की हदों का भी मुख़्तसर सफर होगा।
बुलंदियों की हदों का भी मुख़्तसर सफर होगा।
Dr fauzia Naseem shad
शराब की दुकान(व्यंग्यात्मक)
शराब की दुकान(व्यंग्यात्मक)
उमा झा
बूढ़ी मां
बूढ़ी मां
Sûrëkhâ
दुर्योधन की पीड़ा
दुर्योधन की पीड़ा
Paras Nath Jha
ये तो जोशे जुनूँ है परवाने का जो फ़ना हो जाए ,
ये तो जोशे जुनूँ है परवाने का जो फ़ना हो जाए ,
Shyam Sundar Subramanian
सोशल मीडिया बड़ी बीमारी रचनाकार अरविंद भारद्वाज
सोशल मीडिया बड़ी बीमारी रचनाकार अरविंद भारद्वाज
अरविंद भारद्वाज
अनोखा देश है मेरा ,    अनोखी रीत है इसकी।
अनोखा देश है मेरा , अनोखी रीत है इसकी।
डॉ.सीमा अग्रवाल
"अगर"
Dr. Kishan tandon kranti
*उत्साह जरूरी जीवन में, ऊर्जा नित मन में भरी रहे (राधेश्यामी
*उत्साह जरूरी जीवन में, ऊर्जा नित मन में भरी रहे (राधेश्यामी
Ravi Prakash
मेरे चेहरे से ना लगा मेरी उम्र का तकाज़ा,
मेरे चेहरे से ना लगा मेरी उम्र का तकाज़ा,
Ravi Betulwala
love or romamce is all about now  a days is only physical in
love or romamce is all about now a days is only physical in
पूर्वार्थ
माँ।
माँ।
Dr Archana Gupta
पुष्प
पुष्प
इंजी. संजय श्रीवास्तव
प्रेम छिपाये ना छिपे
प्रेम छिपाये ना छिपे
शेखर सिंह
4266.💐 *पूर्णिका* 💐
4266.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
आओ बौंड बौंड खेलें!
आओ बौंड बौंड खेलें!
Jaikrishan Uniyal
मन ,मौसम, मंजर,ये तीनों
मन ,मौसम, मंजर,ये तीनों
Shweta Soni
आग और पानी 🔥🌳
आग और पानी 🔥🌳
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
"बेटी की ईच्छा"
ओसमणी साहू 'ओश'
गीत पिरोते जाते हैं
गीत पिरोते जाते हैं
दीपक झा रुद्रा
Loading...