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24 Jul 2023 · 1 min read

“गाली”

“गाली”
किसी गुब्बार की तरह है
हमेशा से गाली,
जिसके निकल जाने पर
अन्दर का लावा
हो जाता है खाली।
ये गालियाँ
हर जगह चल जाती है,
अपने पंखों के सहारे
आकाश में भी
फर्राटे से उड़ जाती है।

6 Likes · 5 Comments · 454 Views
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