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20 Jul 2023 · 1 min read

वही है जो इक इश्क़ को दो जिस्म में करता है।

सुना है वही रखता है बदहाल भी बहाल भी,
सुना है वो टूटों को भी अमूमन जोड़ देता है।

सुना है उसी के बस में है उरूज़ भी जवाल भी,
वही है जो बहते दरियाओं को भी मोड़ देता है।

सुना है उसकी रहमत हैं ये चमन भी बहार भी,
सुना है वो फूलों में नई नायाब सुगंध भरता है।

बारिशें भी उसकी सौगात हैं प्यासी धरती को,
सुना है वो तितलियों को बैठाकर रंग भरता है।

सुना है पत्ता नहीं हिलता उसकी मर्ज़ी के बिना,
वही है जो हर सफ़र की कहानी को लिखता है।

सुना है बिछड़ के भी महकता है फूल डाली से,
वही है जो इक इश्क़ को दो जिस्म में करता है।
-मोनिका

1 Like · 1 Comment · 457 Views
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