Posts Tag: Ghazal 34 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid डॉक्टर वासिफ़ काज़ी 28 Mar 2024 · 1 min read चंद अशआर 🌺 चंद अशआर 🌺 ख़्वाब उनका आँखों में पल रहा है । कमबख़्त मिरी नींदों से जल रहा है ।। वस्ल का दिन तो.. मुक़र्रर था फ़िर । क्यूँ ये... Hindi · Ghazal · गजल सी रचना 5 Share डॉक्टर वासिफ़ काज़ी 10 Mar 2024 · 1 min read चंद अशआर " चंद अशआर " - हिज्र का..... असर देख रहे हो । या अश्कों की नहर देख रहे हो ।। पल में जो तुमको बेचैन कर दे । क्यूँ फ़िर... Hindi · Ghazal 34 Share shahab uddin shah kannauji 12 Feb 2024 · 1 min read Ghazal मुझे हाल ब्रह्म नज़र आ रहे हैं जो महलों में कुमकुम नज़र आ रहे हैं यह खुशियां मूरत्तब नहीं आरज़ी हैं हकी़कत में मातम नज़र आ रहे हैं वो आंचल... Ghazal 1 18 Share shahab uddin shah kannauji 31 Jan 2024 · 1 min read Ghazal یوں دل کو تھامے ہوے کھڑے ہیں کہ دل کے دعوے بہت بڑے ہیں احد و پیماں یہ وعدے تیرے یہ پرزے کاغز کے کچھ پڑے ہیں جلا دوں انکو... Poetry Writing Challenge · Ghazal · Kavita · Kavya · Poetry · ग़ज़ल 39 Share डॉक्टर वासिफ़ काज़ी 19 Jan 2024 · 1 min read जुदाई - चंद अशआर " जुदाई " उनकी जुदाई को.. सहा है हमनें । फ़िर भी.... कुछ न कहा है हमनें ।। ज़ब्त कर लिया है... ग़मों को सारे । ख़ामुशी को भी पढ़... Hindi · Ghazal · ग़ज़ल/गीतिका 778 Share SURYA PRAKASH SHARMA 6 Sep 2023 · 1 min read सिर्फ़ मरते हैं यहाँ ... सिर्फ़ मरते हैं यहाँ हिन्दू, मुसलमाँ या दलित , अब किसी भी जगह पर मरता नहीं है आदमी । बँट गए अब तो स्वयं भगवान कितनी जात में , अब... Hindi · Ghazal · कविता · ग़ज़ल/गीतिका 2 103 Share Monika Verma 20 Jul 2023 · 1 min read वही है जो इक इश्क़ को दो जिस्म में करता है। सुना है वही रखता है बदहाल भी बहाल भी, सुना है वो टूटों को भी अमूमन जोड़ देता है। सुना है उसी के बस में है उरूज़ भी जवाल भी,... Ghazal · Kavita · Life · Love · शायरी उर्दू शायरी 1 1 164 Share Trishika S Dhara 13 Jun 2023 · 1 min read ख़ास से आम बनाना ज़रूरी था ख़ास से आम बनाना ज़रूरी था उस का ग़ुरूर मिटाना ज़रूरी था क़ुदरत का क़त्ल किए जा रहे थे ज़मीं पर ज़लज़ला आना ज़रूरी था नफ़रतों के चराग़ बुझाने की... Poetry Writing Challenge · Ghazal · Iamtrishikadhara · Trishikasdhara · Urduadab · Writtenbytrishikadhara 2 194 Share Trishika S Dhara 13 Jun 2023 · 1 min read तू रूबरू हो कर भी हमसे मिलता नहीं तू रूबरू हो कर भी हमसे मिलता नहीं बेरुखी के धागे से ज़ख़्म सिलता नहीं मिरी कैफ़ियत पे पत्थर भी रो पड़ा मगर ये संगदिल इंसाँ पिघलता नहीं जुगनुओं से... Poetry Writing Challenge · Ghazal · Iamtrishikadhara · Trishikasdhara · Urduadab · Writtenbytrishikadhara 1 187 Share Trishika S Dhara 13 Jun 2023 · 1 min read पत्थर से दिल लगाने चले हैं पत्थर से दिल लगाने चले हैं फिर नई चोट खाने चले हैं इंसान भी वो बन न सका लोग जिसे मसीहा बनाने चले हैं कभी लबों से चूमा था जिस... Poetry Writing Challenge · Ghazal · Iamtrishikadhara · Trishikasdhara · Urduadab · Writtenbytrishikadhara 2 176 Share Trishika S Dhara 13 Jun 2023 · 1 min read आँखों में मायूसी का मंज़र क्यों है आँखों में मायूसी का मंज़र क्यों है अँधेरा ही अँधेरा मिरे अंदर क्यों है जिस की छाँव में पलि मै बीस बरस ख़ुदा ने छीना वो शजर क्यों है ये... Poetry Writing Challenge · Ghazal · Iamtrishikadhara · Trishikasdhara · Urduadab · Writtenbytrishikadhara 1 60 Share Trishika S Dhara 13 Jun 2023 · 1 min read ये रात बावरी मुझे बेचैन कर जाएगी ये रात बावरी मुझे बेचैन कर जाएगी सवा तीन तक मुझे नींद कहाँ आएगी फ़ुरक़त में चलेगी तिरी याद की लूह दिसंबर की सर्दी भी मुझको जलाएगी आज अखरती है... Poetry Writing Challenge · Ghazal · Iamtrishikadhara · Trishikasdhara · Urduadab · Writtenbytrishikadhara 1 66 Share Trishika S Dhara 13 Jun 2023 · 1 min read मुद्दतों से तुम्हारा दीदार न मिला मुद्दतों से तुम्हारा दीदार न मिला क़ल्ब-ए-तपाँ को क़रार न मिला इक-इक कर बिक गयीं खुशियाँ सारी ग़मों का कोई ख़रीदार न मिला कब से आज़ुर्दा हूँ फ़रेब-ए-वफ़ा से तिरे... Poetry Writing Challenge · Ghazal · Iamtrishikadhara · Trishikasdhara · Urduadab · Writtenbytrishikadhara 1 92 Share Trishika S Dhara 13 Jun 2023 · 1 min read सदियाँ लगीं संभलने में सदियाँ लगीं संभलने में दिल का ज़ख़्म भरने में हाथ समुन्दर का ही है नदियों को खाली करने में मेरे पाँव नहीं थकते उनकी गलियों में चलने में सोलह बरस... Poetry Writing Challenge · Ghazal · Iamtrishikadhara · Trishikasdhara · Urduadab · Writtenbytrishikadhara 1 60 Share Trishika S Dhara 13 Jun 2023 · 1 min read तुम से उम्मीद–ए–हिमायत बहुत है तुम से उम्मीद–ए–हिमायत बहुत है लिहाजा मुझे तुम से शिकायत बहुत है कोई तूफ़ाँ न गिरा सका मिरा आशियाँ ख़ुदा की मुझ पर इनायत बहुत है जिन के क़ुर्ब में... Poetry Writing Challenge · Ghazal · Iamtrishikadhara · Trishikasdhara · Urduadab · Writtenbytrishikadhara 1 90 Share Trishika S Dhara 13 Jun 2023 · 1 min read पेशे से मज़हब का ठेकेदार लगता है पेशे से मज़हब का ठेकेदार लगता है वो आदमी मुझे दिमागी बीमार लगता है मैं मलूल रहूँ तो ये भी मुस्कुराता नहीं आईना मुझे सच्चा ग़म-गुसार लगता शब भर इसे... Poetry Writing Challenge · Ghazal · Iamtrishikadhara · Trishikasdhara · Urduadab · Writtenbytrishikadhara 79 Share Trishika S Dhara 13 Jun 2023 · 1 min read उकता कर हम ने ये काम कर दिया उकता कर हम ने ये काम कर दिया जो ख़ास थे उन को आम कर दिया हम को नहीं आता पर्दे में गुनाह करना जो भी किया हम ने सर-ए-आम... Poetry Writing Challenge · Ghazal · Iamtrishikadhara · Trishikasdhara · Urduadab · Writtenbytrishikadhara 88 Share Trishika S Dhara 13 Jun 2023 · 1 min read वो चाहतें हैं हमको कीचड़ में गिराना वो चाहतें हैं हमको कीचड़ में गिराना जिनके बस में नहीं अपने धब्बे छुड़ाना बन्द कमरे में ख़ामोश बैठी हूँ कब से संग-दिलों को हाल-ए-ग़म क्या सुनाना क़िताब-ए-ज़ीस्त के इक-इक... Poetry Writing Challenge · Ghazal · Iamtrishikadhara · Trishikasdhara · Urduadab · Writtenbytrishikadhara 85 Share Trishika S Dhara 13 Jun 2023 · 1 min read मिरे आगे ज़िक्र-ए-अग़्यार क्यों करते हो मिरे आगे ज़िक्र-ए-अग़्यार क्यों करते हो ख़ामखां मिरा जीना दुश्वार क्यों करते हो कभी-कभार मिरी ख़ैरियत पूछ कर तुम अपना कीमती वक़्त बेकार क्यों करते हो ये आदत तुम्हारी तुम... Poetry Writing Challenge · Ghazal · Iamtrishikadhara · Trishikasdhara · Urduadab · Writtenbytrishikadhara 77 Share Trishika S Dhara 13 Jun 2023 · 1 min read संगदिल लोगों पे जाँ-निसार मत कीजिए संगदिल लोगों पे जाँ-निसार मत कीजिए इनकी ख़ातिर ज़िंदगी दुश्वार मत कीजिए शहद की शीशी में ज़हर भी हो सकता है मीठी-मीठी बातों पे ऐतबार मत कीजिए इश्क़ बा-सफ़ा है... Poetry Writing Challenge · Ghazal · Iamtrishikadhara · Trishikasdhara · Urduadab · Writtenbytrishikadhara 58 Share Trishika S Dhara 13 Jun 2023 · 1 min read बरसों से जिन्हें अपना माना बरसों से जिन्हें अपना माना अब कैसे उन्हें समझूं बेगाना मैं अपनी अना में दूर हो गई दिल को नागवार था दूर जाना क़ाफ़िले में चल के मुमकिन नहीं अपनी... Poetry Writing Challenge · Ghazal · Iamtrishikadhara · Trishikasdhara · Urduadab · Writtenbytrishikadhara 1 55 Share Johnny Ahmed 'क़ैस' 12 Feb 2023 · 1 min read हक़ीक़त बताना ज़रूरी नहीं था हक़ीक़त बताना ज़रूरी नहीं था मुझे यूँ रुलाना ज़रूरी नहीं था अगर तुम नहीं थी ग़ज़ल मेरी फिर तो तुम्हें गुनगुनाना ज़रूरी नहीं था मुझे छोड़कर तुमको जाना अगर था... Hindi · Ghazal · Johnny Ahmed 1 106 Share Chandan sharma 25 Jan 2023 · 1 min read ग़ज़ल समझ लेते हो जब तुम अपनों का दुख समझते क्यों नहीं फिर औरों का दुख मेरा दुख था कि मैं उस को खो दूँगा उसे था मेरे जैसे कितनों का... Hindi · Ghazal · Urduhindipoetryghazal · उर्दू हिंदी ग़ज़ल · ग़ज़ल 169 Share Anjuman M Arzoo 23 Dec 2022 · 1 min read ग़ज़ल इश्क़ में क्या ये मो'जिज़ा¹ न हुआ हिज्र² में भी जो वो जुदा न हुआ वो बहुत दूर जा चुका है मगर उसकी यादों से फ़ासला न हुआ है खड़ा... Hindi · Ghazal · ग़ज़ल 2 92 Share Johnny Ahmed 'क़ैस' 16 Dec 2022 · 1 min read ग़ज़ल जिस जगह आख़िरी बार हम तुम मिले फूल ही फूल अब उस जगह पर खिले। हाँ वहीं पर हमारा बना मक़बरा थी जहाँ बैठकर तुम सुनाती गिले। इश्क़ का मर्ज़... Hindi · Ghazal · Johnny Ahmed 1 160 Share himanshu mittra 28 Oct 2022 · 1 min read ग़ज़ल हम किसी भी फैसले तक नही पहुँचे क्योंकि तुम भी तब्सिरे तक नही पहुचे फिर तड़प के मर गयी खामुशी साहब हम मगर उस हादसे तक नही पहुचे फिर किसे... Hindi · Ghazal · Hindi Poetry · कविता 1 90 Share Sandeep Singh Chouhan "Shafaq" 22 Oct 2022 · 1 min read ग़ज़ल "दिवाली" हर किसी का घर हो रौशन इस दिवाली कोई सूना हो न आँगन इस दिवाली इस दिवाली कोई भूखा भी न सोए सब की थाली में हो भोजन इस दिवाली... Hindi · Ghazal · Sandeep Singh Chouhan Shafaq · Shafaq · ग़ज़ल · शफ़क़नामा 154 Share Sandeep Singh Chouhan "Shafaq" 2 Oct 2022 · 1 min read ग़ज़ल ज़माने के लिए तो मर चुका हूँ सहारा है तिरा सो जी रहा हूँ मुकम्मल ही समझना फिर मुझे भी फ़क़त अब क़त्ल होना रह गया हूँ भुलाने की है... Hindi · Ghazal · ग़ज़ल · शायरी 121 Share Johnny Ahmed 'क़ैस' 15 Sep 2022 · 1 min read नाचनेवालियाँ अब हमें ज़िन्दगी की ख़बर मिल रही मौत से जब हमारी नज़र मिल रही। ज़ीस्त उस रोज़ से बे-असर लग रही मौत जब से हमे बन सँवर मिल रही। जनवरी... Hindi · Ghazal · Johnny Ahmed · Kavita 1 188 Share Sanjay Grover 11 Sep 2022 · 1 min read ग़ज़ल-धीरे-धीरे धीरे-धीरे सब होगा लेकिन जाने कब होगा बीच भंवर में फ़ंसेगा तू आगे-पीछे रब होगा जिसकी रचना बेढंगी ख़ुद कितना बेढब होगा हाक़िम हंसकर बोला तो कितना बड़ा ग़ज़ब होगा... Hindi · Ghazal · ग़ज़ल 225 Share Johnny Ahmed 'क़ैस' 19 Aug 2022 · 1 min read हाँ तुझे बस ये बताना चाहता हूँ हाँ तुझे बस ये बताना चाहता हूँ अब तुझे मैं भूल जाना चाहता हूँ। नाँव बनवाकर तेरे झूठें ख़तों की एक नाली में बहाना चाहता हूँ। ख़ूब ख़र्चे कर दिए... Hindi · Ghazal · Johnny Ahmed 2 237 Share Aditya Shivpuri 30 Jun 2022 · 1 min read ख़ुद ही हालात समझने की नज़र देता है, 🌸🌹 आदित्य शिवपुरी. 🍃 मतला- ख़ुद ही हालात समझने की नज़र देता है, वक़्त कितने भी हरे ज़ख़्म हों भर देता है. हुस्ने मतला- ज़िन्दगी का जो हवाओं में असर... Hindi · Ghazal 291 Share Rajeev kumar 29 Jun 2022 · 1 min read सन्नाटा दरो दिवार पे पसरा सन्नाटा क्यों दिल को मेरे घेरा सन्नाटा महफिल में अपनी कद्र न जानकर रूसवा हो वहाँ से लौटा सन्नाटा बेकली लाता यादों के लहर लाता और... Hindi · Ghazal 124 Share डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD 24 Jun 2022 · 1 min read यह सूखे होंठ समंदर की मेहरबानी है ये सूखे होंट समंदर की मेहरबानी है। जो मेरी प्यास बुझा दे कहां वो पानी है। ❤️ वह खेलता है समंदर की लहर में लेकिन। हां मगर प्यास की उस... Hindi · Ghazal · डॉक्टर सगीर अहमद सिद्दीकी · समीर अहमद सिद्दीकी · हिंदी गजलें 3 1 486 Share