Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Jun 2023 · 1 min read

यादों के छांव

यादों के छांव में, पहुंच गए एक शाम ।
गलियां वही थी, बदल गया था नाम।
चल रही थी पुरवाई लेकर धून मधुर मधुर ,
झूम रहे थे तरु नशे में खनक रहे थे पैरों में नुपुर।
दादी मेरी कान खींच दे रही थी सख्त हिदायत ,
हम चढ़कर वहीं तोड़ेंगे आम को ऊंचे दरख़्त ।
बिठा कंधे पर पापा, मेरे करा रहे बागों का सैर ,
लोरियाँ सुना रही थी अम्मा मेरी जैसे फुर्सत में हो खैर।
बच्ची भली मैं खा रही थी वो मेरी दूध कटोरी ,
मामा जी बोल रहे थे मैं खाने में हूं एक नम्बर चटोरी।
सुकून मिला रहा था जैसे पी ली हो यादों का ‌ जाम।
अचानक स्तब्ध हुई जैसे नींद से मैं जागी , मैं शाम।
पलकें भीगी थी आंखें नम थी मेरी यादों के छांव में ,
चेतन मन खो गया, खो गई मेरी स्मृति के नाव में।
ननकी पात्रे ‘मिश्री’ बेमेतरा (छत्तीसगढ़)

Language: Hindi
3 Likes · 257 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

कभी मिलूँगा तुमसे से दोहराऊँगा सारी बातें...
कभी मिलूँगा तुमसे से दोहराऊँगा सारी बातें...
शिवम "सहज"
घर पर ध्यान कैसे शुरू करें। ~ रविकेश झा
घर पर ध्यान कैसे शुरू करें। ~ रविकेश झा
Ravikesh Jha
इंजीनियर, लॉयर, एथलीट के बाद अब रॉयल ऑफिसर नरेंद्र ढिल्लों
इंजीनियर, लॉयर, एथलीट के बाद अब रॉयल ऑफिसर नरेंद्र ढिल्लों
सुशील कुमार 'नवीन'
मेरी कमाई
मेरी कमाई
Madhavi Srivastava
कवि और कविता
कवि और कविता
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
ज़माने भर को हर हाल में हंसाने का हुनर है जिसके पास।
ज़माने भर को हर हाल में हंसाने का हुनर है जिसके पास।
शिव प्रताप लोधी
पारा !!
पारा !!
Jaikrishan Uniyal
श्री राम
श्री राम
Rajesh Kumar Kaurav
साल का पहला त्यौहार
साल का पहला त्यौहार
Rekha khichi
*उसकी फितरत ही दगा देने की थी।
*उसकी फितरत ही दगा देने की थी।
अश्विनी (विप्र)
स्वतंत्रता
स्वतंत्रता
surenderpal vaidya
रिश्तों की आड़ में
रिश्तों की आड़ में
Chitra Bisht
बाबा तेरा इस कदर उठाना ...
बाबा तेरा इस कदर उठाना ...
Sunil Suman
गज़ल बन कर किसी के दिल में उतर जाता हूं,
गज़ल बन कर किसी के दिल में उतर जाता हूं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
दिल खोल कर रखो
दिल खोल कर रखो
Dr. Rajeev Jain
रियायत कौन देता है दूकानदारी में,तंग हाथ रखे जाते हैं खरीददा
रियायत कौन देता है दूकानदारी में,तंग हाथ रखे जाते हैं खरीददा
पूर्वार्थ
लोहड़ी
लोहड़ी
Savitri Dhayal
माँ
माँ
Shyam Sundar Subramanian
“समझा करो”
“समझा करो”
ओसमणी साहू 'ओश'
*
*"विपक्ष का वेल में" और
*प्रणय प्रभात*
है प्रीत बिना  जीवन  का मोल  कहाँ देखो,
है प्रीत बिना जीवन का मोल कहाँ देखो,
Abhishek Shrivastava "Shivaji"
तुम्हारी आँखें।
तुम्हारी आँखें।
Priya princess panwar
✍️ दोहा ✍️
✍️ दोहा ✍️
राधेश्याम "रागी"
" चेतावनी "
Dr. Kishan tandon kranti
दोहे
दोहे
गुमनाम 'बाबा'
छुपा है सदियों का दर्द दिल के अंदर कैसा
छुपा है सदियों का दर्द दिल के अंदर कैसा
VINOD CHAUHAN
इंसान की भूख कामनाएं बढ़ाती है।
इंसान की भूख कामनाएं बढ़ाती है।
Rj Anand Prajapati
शुभकामना संदेश
शुभकामना संदेश
डॉ नवीन जोशी 'नवल'
जीना यदि चाहते हो...
जीना यदि चाहते हो...
आकाश महेशपुरी
जमाना चला गया
जमाना चला गया
Pratibha Pandey
Loading...