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8 Jun 2023 · 1 min read

कठिन परीक्षा

** कुण्डलिया **
~~*~~*~~*~~*~~*~~*~*~~
कठिन परीक्षा से कभी, मत होना भयभीत।
कभी हार होती यहां, और कभी है जीत।
और कभी है जीत, सिलसिला चलता रहता।
इम्तिहान के साथ, निरंतर जीवन बढ़ता।
काल स्थिति का बोध, करा देती जब शिक्षा।
फिर बनती आसान, स्वयं ही कठिन परीक्षा।
~~*~~*~~*~~*~~*~~*~*~~
समय बदलता जा रहा, बदले बहुत रिवाज।
रस्म रीतियों की यहां, ऊंची है परवाज।
ऊंची है परवाज, मगर क्षमताएं सीमित।
कभी कभी हर बार, हमें कर देती चिंतित।
कहते वैद्य सुरेन्द्र, वक्त पर मधुवन खिलता।
देखें हम चुपचाप, जिस तरह समय बदलता।
~~*~~*~~*~~*~~*~~*~*~~
साथ निभाते जाइए, करें न बिल्कुल चूक।
स्वच्छ रखें अपनी धरा, बात यही दो टूक।
बात यही दो टूक, प्रदूषण बहुत बढ़ रहा।
लिखा स्वयं दुर्भाग्य, मगर क्यों नहीं पढ़ रहा।
भाषण देते खूब, बिन रुके कहते जाते।
मगर नहीं सब लोग, धरा का साथ निभाते।
~~*~~*~~*~~*~~*~~*~*~~
-सुरेन्द्रपाल वैद्य, मण्डी (हि.प्र.)

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