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28 May 2023 · 1 min read

इश्क

उसने कहा बहुत हुई
दुनिया समाज की बातें।
आज सिर्फ और सिर्फ तुम इश्क पर लिखो।
प्रेम के रंग से हर सफ़हे को रंगो।
मैं भी सोचती रही
कितना कठिन है न इश्क पर लिखना।
अपने अहसासों को शब्दों में ढालना,
अपनी बेतरतीब धड़कनों पर चंद लफ्ज़ कहना।
और फिर मैं रुक गयी।
एक भी हर्फ़ इश्क पर लिख न सकीं।

उसने कहा क्या तुम्हें इश्क नहीं,
क्या तुमने कभी महसूस नही किया इश्क को
क्या तुम्हारे धडकनों में कोई आकर न बसा
मैं हो रही थी निरुत्तर
कैसे मैं बताती उसे
मेरा रोम रोम इश्क में डूबा है।
आज अगर इश्क न हो तो मैं नही होती।
मेरे इस वजूद को इश्क ने ही सँवारा है
और मेरे होठों पर तिक्त मुस्कान इश्क ही तो है।

फिर उसने कहा
जब इतना सब कुछ है तो लिख दो न इश्क को
मैंने मुस्कुराते हुए कहा
क्या जिंदगी को हम लिख सकते
क्या साँसों को हम शब्दों में उतार सकते।
अगर नही तो
तुम ही बताओ कैसे लिख दूँ इश्क़ को।

Language: Hindi
2 Likes · 134 Views
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