अगर तुम ना होते

आंखें थक जाती मेरी यूं ही रोते -रोते
अगर तुम ना होते अगर तुम ना होते
तुमने खुल कर के हंसना सिखाया
जीवन को गुलशन सा बनाया
जाने कैसे हम टूटे मोतियों को पिरोते
अगर तुम ना होते अगर तुम ना होते।
न लुभा पाते हमें चांद और चांदनी
ना सुकून दे पाते राग और रागिनी
ना तरक्की ,खुशी के बीज बोते
अगर तुम ना होते अगर तुम ना होते।
तपती धूप में छांव की तरह हो
किनारे लाने वाले नाव की तरह हो
जमाने वाले हमें गमों में डूबते
अगर तुम ना होते अगर तुम ना होते
नूर फातिमा खातून” नूरी”
जिला -कुशीनगर