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28 May 2023 · 1 min read

प्रेम

प्रेम हृदय वीणा का तार होता है।
गहरे आनंद में अनछुआ सोता है।।

प्रीत के बीजारोपण से स्पंदित हो।
अंतरमन तब कुछ-कुछ होता है।।

बजने लगती है वीणा झंकृत हो।
जब प्रियतम आनंद में खोता है।।

प्रेम मायने संगीत सप्तस्वर का।
बजता मध्य,तारसप्तक स्रोता है।।

प्रेम न अधीन है न स्वाधीन है।
आत्मुग्ध आनंद मन बोता है।।

मीरा,प्रेम की वीणा पर गाती ।
मन हो कृष्णमय प्रेम में रोता है।।
मीरा परिहार 💐✍️

Language: Hindi
2 Likes · 374 Views
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