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11 May 2024 · 1 min read

घर की मृत्यु.

घर की मृत्यु
**********
हो गयी घर
की मृत्यु
न जाने कब
और कैसे.

जाग रही थी
घर भी
कई सालपहले
हमारे साथ
बड़े सुबह
होने पर.

सो गयी थी
रात को बड़ी
देर होनेपर
हमारे साथ.

बाल बच्चों की
खेल तमाशा
देखकर
ख़ुश होता था वो भी.

न जाने कब
और कैसे मर
गयी थी घर
अपनी.

पहले पहल घर
पहुंचते ही ख़ुशी
की लहरे उड़
जाती थी हमारी.

आज लेकिन
सिर छुकाकर
बैठते हैं
सब लोग अपनी
मोबाईल पर.

मम्मा देखती है
कूकेरी शौ यू टूब में
पप्पा देखते है
फेसबुक वीडियोस.
देखता है बेटा
क्रिकेट का घखेल.
डूब रही है बेटी
वाट्सअप चैट में.

नानी भी अपनी
छुकी हुई कंथा
और भी छुकाकर
और सिर
छुकाकर
बैठती ती हैं नये
नये रील्स
देखकर
मोबाइल पर.

डूब गये हैं लोग सभी
अपनी अपनी दुनिया में. वक्त नहीं है
हर किसी को
आपस में देखने
के लिए भी.

दूर रहने वालों
से बोलते हैं
गुडमॉर्निंग और
गुड नाइट.

कब सोया
कब जागा
क्या खाया
क्या पिया

उदास क्यों है
ख़ुश क्यों है
अच्छा लगताहै
आज का कपड़ा.

सुन्दर लगती है
साड़ी में आज तू
अच्छी लगती है
हेयर स्टाइल भी
लाइक देते हैं
कमेंट्स देते हैं.

कुछ भी न बोलते हैं
अपने साथ
घरमें रहने
वालों से.

होगा ये सब
देखकर शायद
घर की मृत्यु
दमघुटकर.

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