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4 May 2023 · 1 min read

दर्द दिल का किसी को सुनाता नहीं

212 212 212 212

दर्द दिल का किसी को सुनाता नहीं
हाँ मगर आजकल मुस्कुराता नहीं

आँसुओं का समंदर है दिल में मेरे
एक आँसू भी लेकिन बहाता नहीं

बन गई है अमावस मेरी ज़िंदगी
मैं दिवाली पे भी घर सजाता नहीं

जब से घर का सुकूं-चैन है खो गया
मैं कभी घर पे ताला लगाता नहीं

रोग क्या है मुझे लोग हैं पूछते
नाम तेरा किसी को बताता नहीं

तू मुझे छोड़कर जा चुकी है कहीं
क्या तुझे मैं कभी याद आता नहीं

छोड़कर जिस तरह से मुझे तू गई
मैं कभी छोड़कर तुझको जाता नहीं

-जॉनी अहमद ‘क़ैस’

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