Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 May 2023 · 1 min read

*रावण आया सिया चुराने (कुछ चौपाइयॉं)*

रावण आया सिया चुराने (कुछ चौपाइयॉं)
—————————————————–
1
मृग मारीच रूप धर आया।
सीता का मन लख ललचाया ।।
सोने का मृग था चमकीला।
रंग एक मायावी पीला ।।
2
माया ने यों रंग दिखाया।
मायापति को खूब छकाया ।।
आगे मृग पीछे रघुराई ।
गाथा विधि की लिखी-लिखाई।।
3
बाण लगा जब मृग को मारा।
राम-राम कह राक्षस हारा।।
शोर सुना सीता घबराईं ।
ज्यों विपत्ति की घड़ियॉं आईं।।
4
कहा लखन से द्रुतगति जाओ।
जा विपत्ति से राम बचाओ ।।
लखन समझते थे सब माया।
राक्षस की होतीं सौ काया।।
5
विवश राम को गए बचाने।
रावण आया सिया चुराने ।।
भोली-भाली सिया चुराई ।
रावण की थी यह अधमाई।।
6
ले जा रहा दशानन पाया।
तब जटायु लड़ने को आया ।।
पक्षी था वह चोंच अकेली।
धन्य चोंच प्राणों पर खेली।।
7
रावण से जाकर टकराया ।
दुर्बल किंतु जीत कब पाया ।।
पंख काट अधमरा कराया ।
योद्धा अनुपम मगर कहाया ।।
8
रावण से जो लड़ा लड़ाई ।
उस जटायु की करो बड़ाई।।
गाता नित इतिहास रहेगा।
युग जटायु को नमन कहेगा।।
————————————-
रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451

931 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all

You may also like these posts

आपकी मेहरबानी है।
आपकी मेहरबानी है।
Jyoti Roshni
फिर न आए तुम
फिर न आए तुम
Deepesh Dwivedi
"दोषी है कौन"?
Jyoti Pathak
नारी शक्ति
नारी शक्ति
लक्ष्मी सिंह
कुछ लोग ऐसे हैं दुनिया में
कुछ लोग ऐसे हैं दुनिया में
Ajit Kumar "Karn"
मलता रहा हाथ बेचारा
मलता रहा हाथ बेचारा
manorath maharaj
महक माटी के बोली के...
महक माटी के बोली के...
आकाश महेशपुरी
*प्यारा मास बसंत*
*प्यारा मास बसंत*
Ramji Tiwari
3608.💐 *पूर्णिका* 💐
3608.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
ख़त्म रिश्ता हो गया तो ,अब निशानी किस लिए
ख़त्म रिश्ता हो गया तो ,अब निशानी किस लिए
Neelofar Khan
वो आया इस तरह से मेरे हिज़ार में।
वो आया इस तरह से मेरे हिज़ार में।
Phool gufran
EVERYTHING HAPPENS AS IT SHOULD
EVERYTHING HAPPENS AS IT SHOULD
पूर्वार्थ
इनका एहसास खूब होता है ,
इनका एहसास खूब होता है ,
Dr fauzia Naseem shad
कहां हो तुम
कहां हो तुम
Maroof aalam
शिखर
शिखर
Kaviraag
वो पिता है साहब , वो आंसू पीके रोता है।
वो पिता है साहब , वो आंसू पीके रोता है।
Abhishek Soni
पहली चाय
पहली चाय
Ruchika Rai
मैं रूठूं तो मनाना जानता है
मैं रूठूं तो मनाना जानता है
Monika Arora
जीत का झंडा गाड़ेंगे हम
जीत का झंडा गाड़ेंगे हम
अनिल कुमार निश्छल
चांद , क्यों गुमसुम सा बैठा है।
चांद , क्यों गुमसुम सा बैठा है।
Radha Bablu mishra
शीर्षक-आया जमाना नौकरी का
शीर्षक-आया जमाना नौकरी का
Vibha Jain
अपनों से अपने जहां,करें द्वेष छल घात
अपनों से अपने जहां,करें द्वेष छल घात
RAMESH SHARMA
किसी के साथ रहो तो वफादार बन के रहो, धोखा देना गिरे हुए लोगो
किसी के साथ रहो तो वफादार बन के रहो, धोखा देना गिरे हुए लोगो
Ranjeet kumar patre
शुरुआत में खामोशी समझने वाले लोग
शुरुआत में खामोशी समझने वाले लोग
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
*कुछ रखा यद्यपि नहीं संसार में (हिंदी गजल)*
*कुछ रखा यद्यपि नहीं संसार में (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
"प्यार में"
Dr. Kishan tandon kranti
"परिश्रम: सोपानतुल्यं भवति
Mukul Koushik
स्वंय की खोज
स्वंय की खोज
Shalini Mishra Tiwari
दिल है पाषाण तो आँखों को रुलाएँ कैसे
दिल है पाषाण तो आँखों को रुलाएँ कैसे
Dr Archana Gupta
दिया है हमको क्या तुमने
दिया है हमको क्या तुमने
gurudeenverma198
Loading...