ख़त्म रिश्ता हो गया तो ,अब निशानी किस लिए

ग़ज़ल
ख़त्म रिश्ता हो गया तो ,अब निशानी किस लिए,
ज़िंदगी जब रूठ जाए , फिर जवानी किस लिए ।1/
बैठे बैठे कुछ न हो , बातें बढ़ानी किस लिए ,
मुश्किलें सुलझेंगी जाओ , राजधानी किस लिए ।2/
रात भर खिचड़ी पकाई ,और डाकू ले गया ,
आग भड़की पेट की, अब ये बुझानी किस लिए।3/
कीमती होती खुशी हर , क्या बताओगी कभी ,
मुस्कुराते लब हैं तो , आंखों में पानी किसलिए ।4/
वक्त करवट ले रहा ,अब होश में आए हैं वो ,
दूरियां बढ़ने पे ,महफिल दरमियानी किस लिए ।5/
रूठते हैं रूठ जाएं , कुछ नहीं बिगड़े मेरा ,
तुमने सबको घर बुलाया है, ये नानी किस लिए ।6/
हो गया बीमार बच्चा, है ज़रूरत खून की ,
आइए, दीजे लहू , हटते हो जानी किस लिए ।7/
“नील” की आवाज़ है ,समझो तो आयेगी समझ ,
इक है घर में ,फिर तुम्हें , दूजी पटानी किस लिए ।8/
✍️नील रूहानी ( नीलोफर खान )