Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 May 2024 · 2 min read

मलता रहा हाथ बेचारा

मलता रहा हाथ बेचारा ।
नदी किनारे एक पेड़ पर रहता था एक बंदर प्यारा
पेड़ के नीचे बहती थी नदी की अविरल जल-धारा
फलता था स्वादिष्ट फल सारा उस विशाल पादप पर
लेकिन कोई अन्य पशु नहीं आता उस सरिता तट पर

खाता था जामुन फल तोड़कर कुछेक फेंक देता था
चुन-चुनकर उस फल को एक घड़ियाल खा लेता था
एक सुबह प्यार सहित मगर ने बंदर से आकर बोला
इतने बड़े विशाल पेड़ पर कैसे रहते हो तुम अकेला ?

‘नहीं कोई संगी-साथी बिल्कुल एकाकी जीवन है मेरा
दिगर पशु के अभाव में,सुख से बीतता न शाम सवेरा
यहां नहीं कोई थलचर ऐसा जिसके संग साथ निभाए
किस्मत में शायद यही लिखा भागकर कहां हम जांए?’

सुन मर्कट की बात मगर ने हर्षित स्वर में बोला
मुझे ही अपना साथी मान लो मैं भी हूं बम बोला

मैं भी आकर नदी किनारे अकेला दुखी बहुत रहता हूं
तेरा फेंका उच्छिष्ट फल खाकर मैं अपना पेट भरता हूं
उसदिन जामुन रसीला मैंने दिया था अपनी पत्नी को
खाकर हो गयी बाग-बाग उत्सुक है तुझसे मिलने को

जब देता हूं जामुन उसको,खा,तेरा नाम भजती है
तुझसे मिलने का जिद मुझसे रोज सदैव करती है
सुनकर मगर की बात बंदर का दिल प्रसन्न हो जाता
कपि का मन भी उस बेचारी से मिलने को हो जाता

बंदर बोला अवश्य चलुंगा प्यारी भाभी जी से मिलने
अन्दर-अन्दर दिल घड़ियाल का खूब लगा था खिलने
मगरमच्छ था बहुत चतुर उसने कपट-पाश एक फेंका
एक दिन कर राजी बंदर को उसने अपनी रोटी सेंका

बीच नदी में ले जाकर घड़ियाल असली बात बतायी
कोमल दिल खाने को तेरे भाभी ने है तुझको बुलायी
बंदर ने झट बोला भैया यह बात पहले क्यों न बताया
मैं ने तो अपने दिल को छोड़कर उसी पादप पर आया

चलो, करो तुम जल्दी,अब उस पादप के पास ले चल
दिल को लेकर साथ भाभी से मिलने को हूं मैं वेकल
दिल के साथ कुछ मीठे-मीठे फल उपहार में, मैं दूंगा
भाभी से उसके एवज में उनका प्यार भरा दिल लूंगा

सुन मर्कट की बात मगरमच्छ खुशी से झूम गया
बीच नदी से तुरत पेड़ की तरफ तेजी से मुड गया
आते ही तट पर मगरमच्छ की पीठ से बंदर कूदा
तेजी से चढ़ गया पेड़ पर,सोचा,अब न जाऊं दूजा

पेड से बोला मर्कट -ओ मगर, जल्दी यहां से जाओ
अपना यह घड़ियाली आंसू जाकर कहीं और बहाओ
सुन बंदर की बात मगर ने खूब सोचा और विचारा
होकर अति दुःखी वहां पर मलता रहा हाथ बेचारा

1 Like · 77 Views
Books from manorath maharaj
View all

You may also like these posts

*प्रकृति-प्रेम*
*प्रकृति-प्रेम*
Dr. Priya Gupta
What's that solemn voice calling upon me
What's that solemn voice calling upon me
सुकृति
लड़की की जिंदगी/ कन्या भूर्ण हत्या
लड़की की जिंदगी/ कन्या भूर्ण हत्या
Raazzz Kumar (Reyansh)
शिखर के शीर्ष पर
शिखर के शीर्ष पर
प्रकाश जुयाल 'मुकेश'
मेरी धड़कनों में
मेरी धड़कनों में
हिमांशु Kulshrestha
*छोड़कर जब माँ को जातीं, बेटियाँ ससुराल में ( हिंदी गजल/गीति
*छोड़कर जब माँ को जातीं, बेटियाँ ससुराल में ( हिंदी गजल/गीति
Ravi Prakash
" मैं सोचूं रोज़_ होगी कब पूरी _सत्य की खोज"
Rajesh vyas
उनको ही लाजवाब लिक्खा है
उनको ही लाजवाब लिक्खा है
अरशद रसूल बदायूंनी
श्रंगार
श्रंगार
Vipin Jain
।। श्री सत्यनारायण ब़त कथा महात्तम।।
।। श्री सत्यनारायण ब़त कथा महात्तम।।
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
कुछ तो कर गुजरने का
कुछ तो कर गुजरने का
डॉ. दीपक बवेजा
गीत
गीत
Mahendra Narayan
12 fail ..👇
12 fail ..👇
Shubham Pandey (S P)
शहीद का गांव
शहीद का गांव
Ghanshyam Poddar
कृष्ण मुरारी आओ
कृष्ण मुरारी आओ
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
झुका के सर, खुदा की दर, तड़प के रो दिया मैने
झुका के सर, खुदा की दर, तड़प के रो दिया मैने
Kumar lalit
"अपन भाषा "
DrLakshman Jha Parimal
..
..
*प्रणय*
मुस्कुराहट खुशी की आहट होती है ,
मुस्कुराहट खुशी की आहट होती है ,
Rituraj shivem verma
आसमान में बादल छाए
आसमान में बादल छाए
Neeraj Agarwal
"Anyone can say 'I love you,' but not everyone can choose yo
पूर्वार्थ
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
बिखर गए जो प्रेम के मोती,
बिखर गए जो प्रेम के मोती,
rubichetanshukla 781
मित्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
मित्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
Dr Archana Gupta
डमरू वर्ण पिरामिड
डमरू वर्ण पिरामिड
Rambali Mishra
जब हम स्पष्ट जीवन जीते हैं फिर हमें लाभ हानि के परवाह किए बि
जब हम स्पष्ट जीवन जीते हैं फिर हमें लाभ हानि के परवाह किए बि
Ravikesh Jha
हम भी वो है जो किसी के कहने पर नही चलते है जहां चलते है वही
हम भी वो है जो किसी के कहने पर नही चलते है जहां चलते है वही
Rj Anand Prajapati
मैं राग भरा मधु का बादल
मैं राग भरा मधु का बादल
महेश चन्द्र त्रिपाठी
सलाह के सौ शब्दों से
सलाह के सौ शब्दों से
Ranjeet kumar patre
यह जीवन ....
यह जीवन ....
अनिल "आदर्श"
Loading...