अब तक के इंसानी विकास का विश्लेषण
विस्व में अब तक हुए सभी आविष्कार और खोज, इंसानों की समस्याओं का केबल हल मात्र हैं इससे ज्यादा और कुछ नहीं। फिर चाहे खाना हो, घर हो, हवाई जहाज, एंटीबायोटिक हों या फिर परमाणु बम.. आदि सभी इंसानों की समस्याओं और महत्वाकांक्षाओं का हल हैं। और बाकी की जिन समस्याओं का हल नहीं हो सका या फिर जो महत्वाकांक्षाऐं पूर्ण नहीं हो सकीं उनका हल भगवान की रचनाकर आध्यात्मिक हाथों में तब तक के लिए सौंप दिया जब तक उनका कोई प्रायोगिक हल निकल नहीं जाता।
वास्तव में इंसानों ने कोई भी ऐसी खोज या आविष्कार नहीं किया जिसका सम्बंध प्रत्यक्षतः उससे ना हो। वर्तमान के कुछ आविष्कार जो प्रत्यक्षतः इंसानो से जुड़ते प्रतीत नहीं होते, वो सभी भविष्य में इंसानों के दैनिक जीवन का हिस्सा बन जाते हैं। इसप्रकार से देखें तो इंसान इस पृथ्वी का और अब तक के ज्ञात समूचे ब्रह्मांड का सबसे स्वार्थी जानवर है, जिसने दूसरे अन्य जानवरों के अधिकारों का दोहन कर अपनी दैनिक जरूरतों का अधिक से अधिक विस्तार किया है और अपनी पहुंच तक उपलब्ध सभी वस्तुओं का अधिक से अधिक दोहन किया हैं। इंसानों ने कोई भी ऐसी खोज या आविष्कार नहीं किया जिससे किसी अन्य जानवर को लाभ हो या फिर पृथ्वी या ब्रह्मांड में कुछ बढोत्तरी हो। जो कुछ भी किया है सब अपनी सुविधा के लिए किया है और लगातार करता ही जा रहा है, जिससे उसका दैनिक जीवन ज्यादा से ज्यादा आरामदायक हो रहा हैं। इसके साथ ही भगवान और आध्यात्मिक जगत भी इंसान की उसी समस्या और महत्वाकांक्षा का हिस्सा भर है, जो प्रायोगिक या तथ्यात्मक रूप से तो महसूस करने लायक नहीं किंतु रहस्यात्मक विचार और उनके गूण विश्लेषण से जरूर सही प्रतीत लगते हैं। इसप्रकार भगवान हो या ना हो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता किंतु यह जरूर सत्य है कि अब तक हुए सभी आविष्कार या खोज किसी अन्य जगत या प्रयोगशाला से नहीं हुए बल्कि सभी इस प्रकृति के छिपे रहस्यों से उजागर होने जैसे हैं। और सबसे बड़ी बात यही है कि अब तक जो कुछ भी पाया या प्रयोग किया जा रहा है सब केबल इसी पृथ्वी से ही है पृथ्वी के अलावा शेष अंतरिक्ष से कुछ भी नहीं। वास्तव में ब्रह्मांड में अब तक ज्ञात सभी चीजें गोल हैं या अंडाकार है जिनसे यह जरूर जान पड़ता है कि शुरुआत और अंत एक ही बिंदु पर होते हैं, और फिर परिवर्तन जितना सीघ्र होता है अंतिम बिंदु या प्रारंभिक बिंदु तक पहुँच भी उतनी ही सीघ्र होती हैं या उन दोनों का मिलन भी सीघ्र होता हैं।