Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Mar 2024 · 2 min read

कर्म का फल भाग – 1 रविकेश झा

आप को अपने कर्म का फल आपको सोचते ही मिल जाता है। यही सत्य है।
क्योंकि सोचने वाले भी आप है करने वाले भी, और मानने वाले भी आप है फिर फल बाद के कैसे मिल सकता है,
इसको जागरूकता के माध्यम से जाना जा सकता है,
कर्मकांड कहता हैं हमे फल का चिंता नहीं करना चाहिए ,
क्योंकि फल उसी समय मिल जाता है, लेकिन आप स्वयं को परमात्मा से अलग मानते है, वही चूक हो जाता है, थोड़ा धैर्य में स्वयं को परिवर्तन करें, आप खाना खाओगे अभी पेट में जायेगा बाद में ये कैसे हो सकता है, इसीलिए मैं कहता हु,, जागरूकता से आप अपने शरीर से आगे बढ़ सकते है,
प्राथना करते समय स्वयं को देखे, विचार आ रहा है उसे रोक नहीं बस देखे, आप स्वयं चकित रह जायेंगे की ऐसा भी परिवर्तन हो सकता स्वयं के साथ,

भय को दूर करने की प्रयास न करें, बस भय को अपना मित्र बना ले। फिर भय आपको मदद करेगा स्वयं के रूपांतरण ke लिए।

इसीलिए आप वही सोचे जो आप को लगे कि ये सार्थक हो सकता है,
लेकिन आप ऐसे नहीं करते, आपको लोभ है धन का, पद का, प्रतिष्ठा का।
आप स्वयं जिम्मेदार हैं अपने दुख का, और सुख का भी आप ही रहेंगे जिम्मेदार।

इसीलिए ध्यान के माध्यम से आप कठोर से मुक्त हो सकते है।
क्रोध से मुक्त हो सकते है, घृणा से, भोग से मुक्त हो सकते है, तो सोचना अब आपको है की कैसे जीवन जिए।

कर्म आप किसके लिए करेंगे, स्वयं के लिए या परिवार के लिए, यही मोह है जीवन के प्रति भय भी है, जब आप जागरूकता से कर्म को देखते है उसी समय आप चकित होंगे की हम कैसे जी रहे थे, अपने मन को समझे थोड़ा की आपको कहां से कहां पहुंचा देता है, थोड़ा धैर्य में प्रवेश करना होगा, जीवन में ध्यान भी तभी काम करता हैं जब हम धैर्य को मित्र बना लेंगे उसके बाद अपने आप आनंदित हो सकते है, आप अभी सोए हुए है, आपको मौका मिलता है प्रतिदिन व प्रतिपल आप आनंदित हो सकते है।
अभी आप भोग विलास में फसे है, धन के पीछा जा रहे है, पद के पीछे, कैसे भी कर्म चलता रहे, और कभी कभी आप मंदिर भी जाते है की पाप मिट जाए, मौत ना आए, ये सब से आप स्वयं को धोका दे रहे है, क्योंकि आप जो मांगते हैं मिल जाता हैं फिर भी आप नही जान पाते ,
कर्म बस कर्म समझे, तभी आप पूर्णतः सहमत हो सकते है जीवन को आनंदित बनाए, कर्म बस अपना मित्र बना ले,

और आप स्वयं में प्रवेश करें, धीरे धीरे होगा, पर एक दिन होगा जरूर।

धन्यवाद,
रविकेश झा

113 Views

You may also like these posts

आओ आशा दीप जलाएं
आओ आशा दीप जलाएं
श्रीकृष्ण शुक्ल
मिले हैं ऐसे भी चेहरें हमको जिंदगी के सफ़र में
मिले हैं ऐसे भी चेहरें हमको जिंदगी के सफ़र में
gurudeenverma198
"मानद उपाधि"
Dr. Kishan tandon kranti
*सर्दी*
*सर्दी*
Dushyant Kumar
आखिरी मोहब्बत
आखिरी मोहब्बत
Shivkumar barman
ଶତ୍ରୁ
ଶତ୍ରୁ
Otteri Selvakumar
3678.💐 *पूर्णिका* 💐
3678.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
*स्वस्थ देह का हमें सदा दो, हे प्रभु जी वरदान (गीत )*
*स्वस्थ देह का हमें सदा दो, हे प्रभु जी वरदान (गीत )*
Ravi Prakash
■ आज की सलाह। धूर्तों के लिए।।
■ आज की सलाह। धूर्तों के लिए।।
*प्रणय*
घायल
घायल
DR ARUN KUMAR SHASTRI
शिव शून्य है,
शिव शून्य है,
पूर्वार्थ
छुप छुपकर मोहब्बत का इज़हार करते हैं,
छुप छुपकर मोहब्बत का इज़हार करते हैं,
Phool gufran
वो ठहरे गणित के विद्यार्थी
वो ठहरे गणित के विद्यार्थी
Ranjeet kumar patre
मैं तुमको जी भर प्यार करूँ,
मैं तुमको जी भर प्यार करूँ,
Shweta Soni
गम
गम
इंजी. संजय श्रीवास्तव
लोट के ना आएंगे हम
लोट के ना आएंगे हम
VINOD CHAUHAN
‘ विरोधरस ‘---10. || विरोधरस के सात्विक अनुभाव || +रमेशराज
‘ विरोधरस ‘---10. || विरोधरस के सात्विक अनुभाव || +रमेशराज
कवि रमेशराज
दोहा पंचक. . . नारी
दोहा पंचक. . . नारी
sushil sarna
"बरखा रानी..!"
Prabhudayal Raniwal
टीस
टीस
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
जग के का उद्धार होई
जग के का उद्धार होई
राधेश्याम "रागी"
सही दिशा में
सही दिशा में
Ratan Kirtaniya
I Can Cut All The Strings Attached.
I Can Cut All The Strings Attached.
Manisha Manjari
उन से कहना था
उन से कहना था
हिमांशु Kulshrestha
मुद्दा मंदिर का
मुद्दा मंदिर का
जय लगन कुमार हैप्पी
छुपा कर दर्द सीने में,
छुपा कर दर्द सीने में,
लक्ष्मी सिंह
आत्मसंवाद
आत्मसंवाद
Shyam Sundar Subramanian
रुतबा
रुतबा
अखिलेश 'अखिल'
हम तुम और वक़्त जब तीनों क़िस्मत से मिल गए
हम तुम और वक़्त जब तीनों क़िस्मत से मिल गए
shabina. Naaz
शिकवा नहीं मुझे किसी से
शिकवा नहीं मुझे किसी से
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
Loading...