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13 Feb 2023 · 1 min read

रिश्ते

रिश्ते

वक्त से हार कर
सर झुकाए खड़ा
वो खुद को क्या समझे
जो निर्वस्त्र हुआ
पतझड मे ही परख
रिश्तों की होती
जो बढ़कर ढांके ईज्जत
वो कौन जो अपना हुआ
बारिश मे हर पत्ता
होता है हरा
जिंदगी हरी भरी होती
वक्त बदलने के साथ
ठूंठ अकेला हुआ
जिंदगी के साथ
अपने वही होते
जो बदले न वक्त के साथ
न जाने क्यूं
ये अपना गैर न हुआ
उत्कृष्ट भाव है क्षमा
विनम्रता श्रेष्ठ तर्क
अपनापन रिश्तों की जान
जो हुआ हमेशा को हुआ
संदेह तोड़ता रिश्ते
विश्वास जोड़े अनजानों को
तमन्ना निहारे मुक़द्दर
कोशिश से कामयाब हुआ
तकदीर का भी वजूद होता है
बदलाव है कुदरत
पर रिश्तों मे नही
ये बने तो ज्यों पक्का हुआ
जिंदगी के साथ
जिंदगी के बाद भी

स्वरचित मौलिक
सर्वाधिकार सुरक्षित
@ अश्वनी कुमार जायसवाल

Language: Hindi
1 Like · 353 Views
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