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21 Jul 2022 · 1 min read

औनी पौनी बातें

डा . अरुण कुमार शास्त्री – एक अबोध बालक – अरुण अतृप्त

*औनी पौनी बातें *

तनहाई से होते हैं
शब्द अधूरे होते हैं
बिन भावों के कह
कर के देखो
सूखे सूखे पत्तों
से झरते हैं
जैसे बादल जैसे
पत्थर जैसे औघड़
के भोज पात्र सब
बिखरे बिखरे होते हैं
तनहाई से होते हैं
शब्द अधूरे होते हैं
बिन भावों के कह
कर के देखो
सूखे सूखे पत्तों
से झरते हैं
मैं घबराता हुँ कहने से
जेहन में वेसे ही
जेहन में वैसे ही
ऐसे ऐसे न जाने
कितने परजीवी रहते हैं
मेरे भावों का मोल कहाँ
कौन सका है तौल यहाँ
ये मिट्टी जैसे बिकते हैं
रोक नही सकता इनको
ये अनवरत सतत ही बह्ते हैं
मेरे दिमाग की मजबूरी है
जैसे उगते कुकुरमुत्ते
बारिश में , ये विचार भी
उन्ही से उगते हैं
तनहाई से होते हैं
शब्द अधूरे होते हैं
बिन भावों के कह
कर के देखो
सूखे सूखे पत्तों
से झरते हैं

3 Likes · 3 Comments · 338 Views
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