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13 Jul 2022 · 1 min read

गजल क्या लिखूँ कोई तराना नहीं है

गजल क्या लिखूँ कोई तराना नहीं है
मेरी जिंदगी का फसाना यही है
गजल क्या लिखूँ……………
हमसफर बहुत हुए हैं इस रहगुजर के
सफर आज लेकिन सुहाना नहीं है
गजल क्या लिखूँ…………….
पनाह दी है मैने भी औरों को लेकिन
मेरा आज खुद का ठिकाना नहीं है
गजल क्या लिखूँ.. ………….
दिया सबने धोखा यूँ अपना बनाकर
सच्चाई का अब तो जमाना नहीं है
गजल क्या लिखूँ……………
मुझे अपने अक्सर बस भूलाते रहे हैं
मगर मुझसा पागल दिवाना नहीं है
गजल क्या लिखूँ……………
भला इससे ज्यादा क्या तुमको बताऊँ
अपनों में भी मुझसा बेगाना नहीं है
गजल क्या लिखूँ…………….
खुदा ही रूठा हो जब”विनोद”जिसका
सारे जहाँ को फिर मनाना नहीं है
गजल क्या लिखूँ……………..

2 Likes · 2 Comments · 653 Views
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