2122 1 122 1122 22

2122 1 122 1122 22
हुश्न का कम कभी रुतबा नहीं होने देते
जिंदगी तेरा तमाशा नहीं होने देते
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खैरियत पूछते हैं हर बे-जुबानों की हम
हर किसी को यूँ ही रुसवा नहीं होने देते
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बाँटते हैं ख़ुशी अपनों में हमी लेकिन अब
रेवड़ी रोज बताशा नहीं होने देते
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अब चलन दूर है दस्तूर शराफत वाला
रास्ता छोड़ के रिश्ता नहीं होने देते
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ख्याल मुझको भी रहा करता है तेरा लेकिन
हम उलझने कहीं पैदा नहीं होने देते
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अब गले लग सभी दुश्मन से मिला करना तुम
दोस्ती वाले तो अच्छा नहीं होने देते
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तीर खाकर जो संभलना भी नहीं सीखे हों
वैसे लोगों का बढ़ावा नहीं होने देते
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सुशील यादव दुर्ग (cg)
7000226712