मैं हर एक लम्हें का जी भर कर लुत्फ़ उठाती हूँ।

मैं हर एक लम्हें का जी भर कर लुत्फ़ उठाती हूँ।
तू नहीं तेरी यादों संग लतीफ़े-बाज़ी करती हूं।।
रहती हूँ हरदम ख़्वाबों के रंगीन अहाते में।
और फ़िर ख़्वाहिशों के पंख लगा आसमाँ चूमा करती हूँ।।
मधु गुप्ता “अपराजिता”