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12 Jan 2022 · 1 min read

दर्द

दर्द सहकर भी जब ये निड़र जाएगा
आदमी फिर इससे भी बिसर जाएगा।
फूल की राहों में, कांटे रहें भी मगर
साथ हर पल नहीं हम- सफ़र जाएगा।।
यह नया इश्क़ है करने दो मन का ही
कुछ दिनों बाद ये भी सुधर जाएगा ।
चोट देगी इसे इश्क़ की राह तब
चोट खाकर ये आशिक किधर जाएगा ।।
गांव से दूर यहां मन भी लगता नहीं
माॅं थी’ कहती कमाने शहर जाएगा
लौट जाएं‌ वहां हम भी यह सोच कर
माॅं के’ छूने से’ फिर ज़ख़्म भर जाएगा
बे- हुनर है जो भी इस जहां में ‘अभि’
राह ‌से हर दफ़ा बे – ख़बर जाएगा ।।

©अभिषेक पाण्डेय अभि

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