Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Dec 2021 · 1 min read

बदलता साल

दिनों की ही मेहनत है नया साल बनाने में ।
फिर भी इल्जाम है दिनो पर इसे बदलाने में ।।
बदलना होता एक दिन चाह हो कितनी भी,
जिंदगी का फ़लसफ़ा है लगा हूँ समझाने में।।
स्वागत2024
(कवि-डॉ शिव ‘लहरी’)

Language: Hindi
1 Like · 463 Views
Books from डॉ. शिव लहरी
View all

You may also like these posts

सगण के सवैये (चुनाव चक्कर )
सगण के सवैये (चुनाव चक्कर )
guru saxena
बहुत ढूंढा बाजार में यूं कुछ अच्छा ले आएं,
बहुत ढूंढा बाजार में यूं कुछ अच्छा ले आएं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
प्रीतम दोहावली
प्रीतम दोहावली
आर.एस. 'प्रीतम'
# खरी बात
# खरी बात
DrLakshman Jha Parimal
ग़ज़ल
ग़ज़ल
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
।।
।।
*प्रणय*
1)“काग़ज़ के कोरे पन्ने चूमती कलम”
1)“काग़ज़ के कोरे पन्ने चूमती कलम”
Sapna Arora
वे भी द्रोणाचार्य
वे भी द्रोणाचार्य
RAMESH SHARMA
THE STORY OF MY CHILDHOOD
THE STORY OF MY CHILDHOOD
ASHISH KUMAR SINGH
प्रीत पराई ,अपनों से लड़ाई ।
प्रीत पराई ,अपनों से लड़ाई ।
Dr.sima
हम आगे ही देखते हैं
हम आगे ही देखते हैं
Santosh Shrivastava
दिलकश है मेरा भारत, गुलशन है मेरा भारत ,
दिलकश है मेरा भारत, गुलशन है मेरा भारत ,
Neelofar Khan
कपड़ों की तरहां मैं, दिलदार बदलता हूँ
कपड़ों की तरहां मैं, दिलदार बदलता हूँ
gurudeenverma198
हमारे प्यारे दादा दादी
हमारे प्यारे दादा दादी
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
यदि कोई सास हो ललिता पवार जैसी,
यदि कोई सास हो ललिता पवार जैसी,
ओनिका सेतिया 'अनु '
घरौंदा
घरौंदा
Dr. Kishan tandon kranti
नशा रहता है इस दर्द का।
नशा रहता है इस दर्द का।
Manisha Manjari
राम दर्शन
राम दर्शन
Rajesh Kumar Kaurav
मेरे अधरों का राग बनो ।
मेरे अधरों का राग बनो ।
अनुराग दीक्षित
जगतगुरु स्वामी रामानंदाचार्य
जगतगुरु स्वामी रामानंदाचार्य
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
युवा शक्ति
युवा शक्ति
संजय कुमार संजू
काश यह रिवाज हमारे यहाँ भी होता,
काश यह रिवाज हमारे यहाँ भी होता,
Shakil Alam
बस, अच्छा लिखने की कोशिश करता हूॅं,
बस, अच्छा लिखने की कोशिश करता हूॅं,
Ajit Kumar "Karn"
साथी है अब वेदना,
साथी है अब वेदना,
sushil sarna
*उल्लू (बाल कविता)*
*उल्लू (बाल कविता)*
Ravi Prakash
अपनी इस तक़दीर पर हरपल भरोसा न करो ।
अपनी इस तक़दीर पर हरपल भरोसा न करो ।
Phool gufran
****जिओंदा रहे गुरदीप साड़ा ताया *****
****जिओंदा रहे गुरदीप साड़ा ताया *****
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
कुछ लोग यूँ ही बदनाम नहीं होते...
कुछ लोग यूँ ही बदनाम नहीं होते...
मनोज कर्ण
प्रसन्न रहने का एकमात्र उपाय यही है कि किसी से अपेक्षा और कि
प्रसन्न रहने का एकमात्र उपाय यही है कि किसी से अपेक्षा और कि
ललकार भारद्वाज
*मित्र ही सत्य का ख़ज़ाना है*
*मित्र ही सत्य का ख़ज़ाना है*
Rambali Mishra
Loading...