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21 Dec 2021 · 1 min read

यात्रा

यात्रा इस जीवन की,
मोहक कुछ मार्मिक भी..!
रोना और मुसकाना,
पाना और खोना भी…!

निश्चित सब पहले से,
आना और जाना भी..!
साथ कहां तक देते,
बचपन या यौवन भी…!!

थकना और गिरना पर,
उठकर है चलना भी..!
अंत नहीं इस यात्रा का,
कहेंगे हम मरकर भी…!!

© अभिषेक पाण्डेय अभि

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