Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 Jan 2025 · 3 min read

#जीवन_दर्शन

#जीवन_दर्शन
■ परिस्थिति की अधीनता मात्र “आत्म-समर्पण”
★ न बनें भीरु और पलायनवादी
[प्रणय प्रभात]
सब कुछ परिस्थिति के अधीन बताना सोच का एक पुराना हिस्सा है। जिससे आज भी 90 प्रतिशत से अधिक लोग प्रेरित व प्रभावित हैं। सम्भवतः आत्मबल, इच्छा-शक्ति व समयोचित चिंतन, मनन व निर्णय-क्षमता के अभाव में। कारण है जीवन की आपा-धापी से कहीं अधिक समय व सोच की कमी। जो समय-प्रबंधन (टाइम मैनेजमेंट) व तनाव-प्रबंधन (स्ट्रेस मैनेजमेंट) से अनवगिज्ञता की देन है।
साढ़े तीन दशक से अधिक समय तक सार्वजनिक जीवन की सक्रिय पारी खेलने के बाद मेरा वैतक्तिक मत उक्त सोच का विरोधी है। मेरा मानना है कि परिस्थितियों के वशीभूत होने की बात करना भीरुता और आत्म-समर्पण से अधिक कुछ नहीं। जिसे मानसिक स्तर पर पलायन की संज्ञा भी दी जा सकती है।
मेरी बात को आधार देने वाले जीवंत प्रमाणों की आज सर्वत्र व्याप्तता है। काल के कपाल पर ताल ठोक कर विषम से विषम परिस्थियों को सम बना लेने वालों की यशो-गाथा से सभी कर्म-क्षेत्र सुरभित बने हुए हैं। शारीरिक अपूर्णता, विकृति और विकारों को पराजित कर विजेता बनने वाले हज़ारों लोग आज प्रेरणा का पुंज बन चुके हैं। कुछ का नाम लिखना शेष के साथ अन्याय होगा। इसलिए किसी का उल्लेख करना उचित नहीं लगता।
वर्तमान में सुर्खियां पाने वाले आत्म-बलियों के आदर्श अतीत के पृष्ठों पर स्वर्णाक्षरों में अपना नाम व कीर्ति-वृत्तांत अंकित कराने वाले लाखों पुरोधा हैं। जिनके जीवन-वृत्त से परिचित होने वालों को तो पारिस्थितिक विवशता की बात करनी ही नहीं चाहिए। किसी गुरुत्तर पद पर रहते हुए तो कदापि नहीं। जैसी कि अब राजनैतिक मठाधीश करने लगे हैं।
कर्म-विहीन कथ्य मेरी प्रवृत्ति में नहीं। मैं एक भुक्तभोगी के रूप में स्व-कथन का पक्षधर रहा हूं। अनुभूत को अभिव्यक्त करना मेरे लेखन का मूल है। मन के दर्पण में स्वयं को देखने के बाद ही कोई निर्णय लेता हूं। निष्कर्ष जो भी पाता हूं, आपके सामने रख देता हूं। इस भरोसे के साथ कि, एक ने भी बात को ग्रहण कर लिया तो लेखन सार्थक हो जाएगा। हर किसी से तो उम्मीद की नहीं जा सकती, पराक्रम व पुरुषार्थ की।
निवेदन बस इतना सा करना चाहता हूं कि एक बार अपनी सोच व सामर्थ्य सहित मेरी बात पर विचार अवश्य करें। प्रत्येक कार्य, प्रत्येक चुनौती को सहजता से सहर्ष स्वीकार करें। अस्त-व्यस्त जीवनशैली अपना कर व्यस्तता का प्रलाप बंद करें। समय-प्रबंधन, तनाव प्रबंधन व कार्य-नियोजन को जीवन का आधार बनाएं। व्यर्थ के विषाद स्वतः निर्मूल हो जाएंगे।
स्मरण रखिए कि ईश्वर ने आपको मानव-जीवन किसी उद्देश्य के साथ दिया है। आपको उन उद्देश्यों की प्रतिपूर्ति करनी ही करनी है। जब जीवन के कथानक का निर्धारक परम्-पिता है, तो स्वयं को दुनिया के रंगमंच का मात्र एक पात्र क्यों न माना जाए? इस प्रश्न का उत्तर कभी अपनी आत्मा से अवश्य मांगें। भरोसा रखें कि उत्तर आएगा, क्योंकि आत्मा में बैठा परमात्मा कभी, किसी प्रश्न पर निरुत्तर नहीं होता। अब यह आपकी आस्था व स्वीकार्यता का विषय है कि आप सच को स्वीकारें या अपने निराधार झूठ के साथ जीने के नाम पर अमोल जीवन का अनादर करें। मात्र श्वसन और धड़कन सहित नाड़ियों के स्पंदन को ही जीवन मान कर। “न दैनयम, न पलायनम” की अवधारणा के अनुसार पलायनी वृत्ति से छुटकारा पाएं। इसके लिए धर्म, संस्कृति व आध्यात्म के पथ पर चलें। धर्मग्रंथों व प्रवचनों सहित स्वाध्याय को समय दें। आप अंतर्मन में नई चेतना, नई ऊर्जा, नई शक्ति के संचरण का आभास करेंगे। जय राम जी की।।
👍👍👍👍👍👍👍👍👍
■ सम्पादक ■
न्यूज़&व्यूज (मध्यप्रदेश)

1 Like · 50 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

फिर वो दिन सुहाने ले आओ
फिर वो दिन सुहाने ले आओ
Jyoti Roshni
नए मुहावरे में बुरी औरत / मुसाफिर बैठा
नए मुहावरे में बुरी औरत / मुसाफिर बैठा
Dr MusafiR BaithA
3059.*पूर्णिका*
3059.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
पहला प्यार
पहला प्यार
Dipak Kumar "Girja"
अंदाज़ - ऐ - मुहोबत
अंदाज़ - ऐ - मुहोबत
ओनिका सेतिया 'अनु '
दुविधा
दुविधा
Shyam Sundar Subramanian
Roy79 là cổng game bài đổi thưởng, casino online uy tín hàng
Roy79 là cổng game bài đổi thưởng, casino online uy tín hàng
roy79biz
न्याय निलामी घर में रक्खा है
न्याय निलामी घर में रक्खा है
Harinarayan Tanha
दिल टूटा
दिल टूटा
Ruchika Rai
आप और हम जीवन के सच ..........एक प्रयास
आप और हम जीवन के सच ..........एक प्रयास
Neeraj Kumar Agarwal
दूध नहीं, ज़हर पी रहे हैं हम
दूध नहीं, ज़हर पी रहे हैं हम
अरशद रसूल बदायूंनी
मुझे अपने तक पहुंचाने का रास्ता दिखलाओं मेरे प्रभु।
मुझे अपने तक पहुंचाने का रास्ता दिखलाओं मेरे प्रभु।
Madhu Gupta "अपराजिता"
जुनून
जुनून
Sunil Maheshwari
राही साथ चलते हैं 🙏
राही साथ चलते हैं 🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
ढ़हती स्मृतियाों की इमारत
ढ़हती स्मृतियाों की इमारत
Usha Jyoti
*** चंद्रयान-३ : चांद की सतह पर....! ***
*** चंद्रयान-३ : चांद की सतह पर....! ***
VEDANTA PATEL
” शुध्दिकरण ”
” शुध्दिकरण ”
ज्योति
डॉ ऋषि कुमार चतुर्वेदी (श्रद्धाँजलि लेख)
डॉ ऋषि कुमार चतुर्वेदी (श्रद्धाँजलि लेख)
Ravi Prakash
किस क़दर
किस क़दर
हिमांशु Kulshrestha
बहुत प्यारी है प्रकृति
बहुत प्यारी है प्रकृति
जगदीश लववंशी
खुद को मुर्दा शुमार मत करना
खुद को मुर्दा शुमार मत करना
Dr fauzia Naseem shad
*साम्ब षट्पदी---*
*साम्ब षट्पदी---*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
चलते रहे थके नहीं कब हौसला था कम
चलते रहे थके नहीं कब हौसला था कम
Dr Archana Gupta
बाहर निकलने से डर रहे हैं लोग
बाहर निकलने से डर रहे हैं लोग
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
कदम आंधियों में
कदम आंधियों में
surenderpal vaidya
बलात्कार
बलात्कार
Dr.sima
सिंहावलोकन
सिंहावलोकन
आचार्य ओम नीरव
चुनावी घोषणा पत्र
चुनावी घोषणा पत्र
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
खुश्क आँखों पे क्यूँ यकीं होता नहीं
खुश्क आँखों पे क्यूँ यकीं होता नहीं
sushil sarna
🙅ऑफर🙅
🙅ऑफर🙅
*प्रणय प्रभात*
Loading...