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14 Jan 2021 · 1 min read

किरदार…

अब पहले की तरह मुझे मेरा यार नहीं मिलता…
समेटी तमाम खुशियों को घरबार नहीं मिलता…
मुलाक़ात करके खुद से सुकून तलाश लेता हूं,
मतलबी भीड़ में रूह का हकदार नहीं मिलता…
निगाहें रोज मचलती है किसी का साथ पाने को,
बहुत मिले ज़फा वाले, पर वफादार नहीं मिलता…
वक़्त तो हर रोज लगाता है इल्जाम मुझ पर,
रखे सके महफूज मुझे वो पहरेदार नहीं मिलता…
ताउम्र तलाशा हमने अपने को अपने ही भीतर,
सच ये भी है ‘रानू’ तेरे जैसा किरदार नहीं मिलता…

Language: Hindi
3 Likes · 6 Comments · 437 Views
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