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2 Dec 2020 · 1 min read

#दोहे-करो सम्मान #किसान का

#दोहे-करो सम्मान #किसान का

छली विधेयक पास कर,छीन रही अधिकार।
कृषक लुटे बाज़ार में,देख हँसे सरकार।।

पेट भरें जिस अन्न से,साँसों की वो डोर।
उससे छल है साँस से,सोचो करके गौर।।

उड़े गगन वो ही गिरे,जैसे कटी पतंग।
दंभ छोड़ दो शक्ति का,सदा रहे ना संग।।

नीति रीति हो ठीक तो,बने एक इतिहास।
ग़लत काज का याद रख,उड़े सदा उपहास।।

कृषक करे ललकार तो,जागे हर सरकार।
जिसका खाया अन्न है,उसका हो सत्कार।।

बेघर होकर जब रहें,घरवाले ही लोग।
मज़बूरी उनकी सुनो,दूर करो मनरोग।।

राजा हितकारी वही,करे प्रजा का मान।
नीति विरोधी जन बनी,बदले ले संज्ञान।।

#आर.एस.”प्रीतम”
सर्वाधिकार सुरक्षित दोहे

Language: Hindi
4 Comments · 236 Views
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