Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
2 Oct 2024 · 1 min read

ये कहां उसके कमाने की उम्र थी

हँसने-खेलने पढ़ने-पढ़ाने की उम्र थी,
ये कहां उसके कमाने की उम्र थी।

ले आई तन्हाई में क्यों उसे बे-वक़्त की बेचैनी,
उसकी तो महफिलों में जाने की उम्र थी।

उससे बिछड़ के भी उससे मिलता रहा था मैं,
उसकी तो इश्क लड़ाने की उम्र थी।

लाड प्यार से पलने का था उसे हक़,
अभी कहां उसकी किसी का बोझ उठाने की उम्र थी।

करनी थी अभी तो शरारतें तमाम,
दीवारों पर फूल पत्ते बनाने की उम्र थी।

इतने पहरे क्यों, इतनी रोक टोक किसलिए,
वैसे भी अभी तो ख्वाब सजाने की उम्र थी।

Loading...