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3 Jan 2024 · 2 min read

नववर्ष का सम्मान

कितना खुश हैं हम आप सब
कि एक और वर्ष बीत गया,
बधाइयों की औपचारिकता निभाने का
एक अवसर अंग्रेजी कैलेंडर ने फिर दे दिया।
वैसे भी हम खुद पर भरोसा नहीं करते
औरों की जमीन पर बाखुशी नाचने लगते।
जैसे विक्रम संवत से शुरू होने वाले
अपने सनातनी नववर्ष को हम भाव कहाँ देते हैं?
बस अंग्रेजी नववर्ष बड़े उल्लास से मनाकर
अपने आपको आधुनिक दिखाने में
अतिशय शान समझ रहे हैं।
यह हम सब ठीक वैसे ही कर रहे हैं
जैसे घर की मुर्गी को साग बराबर समझ रहे हैं,
बड़े बुजुर्गों और पुरखों की कहावतों को
इतना बड़ा सम्मान देकर मुस्कुरा रहे हैं।
दिन रात बधाइयों शुभकामनाओं को
औपचारिकता वश उछाल रहे हैं,
रात में हुड़दंग, पार्टी और शराब इत्यादि के बीच
धूम धड़ाके कर नववर्ष का स्वागत कर रहे हैं।
हमारी शुभकामनाओं, बधाइयों में
आत्मीयता का भाव नहीं होता
बस औपचारिकता के बीच
सोशल मीडिया पर ही खूब प्रचार प्रसार होता,
सामने वाले की हालत भी हम कहां समझते हैं?
उत्साह अतिरेक में मर्यादा सभ्यता का
खुला मजाक उड़ाकर बहुत खुश होते हैं,
क्योंकि हम उधार का नववर्ष जो मना रहे हैं।
वैसे तो मेरी ऐसी कोई इच्छा नहीं है
इस नववर्ष के स्वागत की औपचारिकताओं में
मेरी तनिक रुचि भी नहीं है,
पर आप सब मुझे मजबूर कर रहे हैं
नववर्ष की शुभकामनाएं, बधाइयां
देने लेने के लिए मजबूर कर रहे हैं
तो लीजिए संभालिए औपचारिकता की आड़ में
मेरी अशेष बधाइयां शुभकामनाओं का एक एक टोकरा,
इच्छा हो या न हो तो भी स्वीकार कीजिए
और नववर्ष की औपचारिक शुभकामनाओं,
बधाइयों की एक अदद खेप मेरी ओर भी उछाल दीजिए।
नववर्ष के स्वागत की आड़ में
नीति नियम मर्यादा का खूब उलंघन कीजिए,
तीन सौ चौंसठ दिन बाद मिले इस अवसर का
भरपूर लाभ उठा लीजिए,
और फिर तीन सौ पैंसठ दिन आराम से
अगले नववर्ष का सुकून से इंतजार कीजिए,
लेकिन इस वर्ष की मिली बधाइयां शुभकामनाओं का
सुरक्षा कवच तैयार कर लीजिए ,
चाहें तो बीमा भी करवा लीजिए।
अगले वर्ष फिर नववर्ष पर
इसी को प्रयोग कर लीजिए
और नये स्टाक को सुरक्षित रहने दीजिए।
चलते चलते एक बार फिर
मेरी बधाइयां शुभकामनाओं की
एक और खेप लपककर सुरक्षित कर लीजिए,
मेरे सिर से बधाई शुभकामनाओं का बोझ
थोड़ा तो कम कर दीजिए,
नववर्ष के आगमन पर
बस इतना सा एहसान मुझ पर कर कीजिए
नववर्ष को खूब मान सम्मान दीजिए
और कम से कम पूरी ईमानदारी और दिल से
किसी और को न सही मुझे तो शुभकामनाएं दे दीजिए
हां अपनी बधाइयां अपने पास ही रख लीजिए।

सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा उत्तर प्रदेश

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