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21 Jul 2019 · 1 min read

ग़ज़ल (जन्मदिन स्पेशल)

कोई है होठों तक, बे-पर्दों में आया।
रातें भी पहचानें, जो ख्वाबों में आया।

बेला सा महके हैं, सारा तन-मन उसका,
धीरे-धीरे चुपके, जो साँसों में आया।

यादें आती हैं उस, मोती के गहनों की,
लेकर बरखा बूंदें, जो यादों में आया।

नादान नहीं है वो, अल्फाजों का सिकंदर,
बिन लाये जो मेरी, हर बातों में आया।

पहली बाली उसकी, मोहें हैं मन सबका,
पीला-पीला कुमकुम, जो सरसों में आया।

हर दिल का वो पक्का, जो मेरा यार कहीं
मेरा ग़म सुलझाने, जो लाखों में आया।

ओझल ना होने दूँ, ‘मैं’ नैनों में भर लूं,
खुश्बू बनकर गुलशन, जो तोह्फ़ों में आया।

Rishikant Rao Shikhare©®

ग़ज़लकार
ऋषिकान्त राव शिखरे
विधा- ग़जल
पता:- पुलसावा, अकबरपुर जिला- अम्बेडकर नगर उत्तर प्रदेश
मोबाइल नंबर 9793477165
ईमेल आईडी – rishikantraoshikhare465@gmail.com

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