मुक्तक
” हाथ में पतवार ले, तूफ़ान से अब तू न डर,
तू अकेले ही कदम, आगे बढ़ा होके निडर,
बांध ले सर पे कफ़न, ये जंग खुशहाली की है
अंत तो होगा यक़ीनन, मौत से पहले न मर “
” हाथ में पतवार ले, तूफ़ान से अब तू न डर,
तू अकेले ही कदम, आगे बढ़ा होके निडर,
बांध ले सर पे कफ़न, ये जंग खुशहाली की है
अंत तो होगा यक़ीनन, मौत से पहले न मर “