रोटी
पहले रोटी गोल बनायी जाती है
फिर जनता के बीच लायी जाती है।
कुछ मुद्दे यूँ ही नहीं उछाले जाते
रोटी वहीं तो पकायी जाती है ।
भूख है जो साथ ही नहीं छोड़ती कभी
तभी तो रोटी दिखायी जाती है।
प्रजातंत्र में क्या-क्या नहीं देखे हमने
वोटों के लिए रोटी ही सजायी जाती है।
इतना आसान भी नहीं है यह सियासत
जहाँ मिलजुलकर रोटी खायी जाती है।
सोने-चाँदी,हीरे-जवाहरात किस काम के
भूख तो रोटी से मिटायी जाती है।
अनिल मिश्र प्रहरी।