Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Jan 2019 · 3 min read

नया साल (संस्मरण)

वो साल दूसरा था ये साल दूसरा हैं****?जी हाँ
आज से बारह साल पहले की बात है लगभग 2006 -07 की जब मै ग्यारह या बारह साल की थी। पुराने वर्ष बीत जाने और नए वर्ष के आगमन पर सबने एक दुसरे को बधाईयाँ दी ।फेसबुक ,ट्विटर,इंस्टा और व्हाट्सएप हर जगह लोगों ने बधाई के साथ अपनी फ़ोटो साझा किए।मैने भी सभी को बधाईयाँ दी और प्रयास था कि कोई छूटे ना फिर भी एक दो लोग छूट ही गए ।
हमारी कहानी अब शुरू होती हैं कल सभी को बधाई देने के बाद मै घण्टों अकेले बैठी रही और अपने बचपन की यादों को याद करने लगी कि नया साल तो वो था जिसकी खरीदारी मै एक माह पहले से ही प्रारंभ कर देती थी मै ही नहीं मेरे साथ मेरे मित्र और मेरे भाई भी ।हमारे पास ज्यादा से ज़्यादा सौ रुपये होते थे पर वो सौ उस समय हमारे लिए दस हज़ार के बराबर थे हमारे उम्र के हिसाब से क्योंकि उस पैसों से मस्तियाँ हुआ करती थी जरूरतें पूरी नहीं इसलिए वो बहुत अधिक थे हमारे लिए। एक महीने पहले से खरीदारी में दो रुपये के कार्ड्स और कुछ चॉकलेट्स हुआ करते थे अपने मित्रों को देने के लिए और मेरी सबसे अच्छी दोस्त खुश्बू नाम की एक लड़की थी इसलिए उसके लिए पांच रुपये के कार्ड्स क्योंकि प्यार तो सारे दोस्तों से करती थी मै पर वो सबसे प्रिय थी और मुझे सबसे ज़्यादा मानती थी इसलिए और मानू भी क्यों न उसको उसने मेरा नाम #एस से शुरू है तो उसने मेरे लिए अपना नाम #खुश्बू से बदल कर #समीक्षा कर दिया था उसके उसके जैसा कोई आज तक नही मिला मुझे ।उसके लिए दो चॉकलेट्स अधिक लेती औरों के अपेक्षा आख़िर वो मेरे सबसे अजीज थी।
मुझे आज भी याद है वो सब बातें इक्कतीस दिसम्बर को सबसे ज्यादा हम लोग व्यस्त होते गिफ्ट्स पैक करने में कार्ड्स पर नाम और कुछ शायरी लिखने में और सबसे खाश बात यह थी कि हमारी शायरी में सबसे प्रिय शायरी ये जरूर थी कि…..

“#संतरे के रस को जूस कहते हैं।
और जो कार्ड्स न दे कंजूस हैं।।”**

ये सब करते करते रात हो जाती और नींद भी नहीं आती सुबह के इंतज़ार में उस समय फ़ोन, मोबाइल हमारे घर मे नही थे जिससे हम बारह बजे के बाद ही हम बधाई दें और एक बात जिसे सोच के हमेशा हंसती हूँ मैं वो ये कि किसी के घर अग़र फोन मै देख लेती तो उसका घर चाहे कैसा भी हो मेरी नज़र में वो दुनिया का अमीर आदमी था क्योंकि उसके घर में फोन थे।अब इंतज़ार खतम नया सवेरा आया और नई उमंगे ,हम जल्दी जल्दी नहाकर कर भोजन करे या न करे बस मित्रों के घर जाना शुरू और कार्ड्स का एक थैला साथ में बहुत मज़ा आता था ।

वास्तव में नया साल वो था जो हमने बचपन में मनाए हैं ।नया साल ही नहीं बल्की हर एक त्यौहार जिसमें बहुत ख़ुशियाँ होती थी और अब किसी भी त्यौहार पर प्रत्येक बच्चा यही कहता कि उसे आज तो सो लेने दो आज छुटियाँ है उसकी ।मेरे कहने का आशय यह नही है कि अब किसी में दोस्ती नहीं ,प्यार नहीं ,सबकुछ हैं पर अब किसी में वैसे विचार नहीं । न कोई त्यौहार मनाने में और ना ही कोई इतवार मनाने में अब त्यौहार और इतवार बस सोने में ही जा रहे चाहे छोटा बच्चा हो या वयस्क सबकी।
मेरे लिए वर्ष नया है पर विचार वहीं और मैने कल का दिन अपनी पुरानी स्मृतियों के साथ ही बिताया और उन्हें अपने शब्दों में पिरोती गयी ।हंसी तो बहुत आ रही थी पर कई बार मेरी आँखें नम भी हुई उस पल ,उस दिन को और उन मित्रों को याद करके।
कुछ तो ऐसे थे कि एक दूसरे का नाम काट देते थे उसमें से एक था मेरा भाई निशान्त और कुछ उनके कार्ड्स बचा के रखी हूँ और उनके गिफ्ट्स भी।
………………………….✒✒@#शिल्पी सिंह❤

Language: Hindi
2 Likes · 493 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

दुआओं में जिनको मांगा था।
दुआओं में जिनको मांगा था।
Taj Mohammad
*कक्षा पांचवीं (संस्मरण)*
*कक्षा पांचवीं (संस्मरण)*
Pankaj Bindas
आँखों में ज़िंदगी है ज़िंदगी एक ख़्वाब है,
आँखों में ज़िंदगी है ज़िंदगी एक ख़्वाब है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
दीवाना कर गया मुझे
दीवाना कर गया मुझे
Nitu Sah
आदर्शों के द्वंद
आदर्शों के द्वंद
Kaushal Kishor Bhatt
" महारत "
Dr. Kishan tandon kranti
जिस दिन हम ज़मी पर आये ये आसमाँ भी खूब रोया था,
जिस दिन हम ज़मी पर आये ये आसमाँ भी खूब रोया था,
Ranjeet kumar patre
दोहा
दोहा
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
*तुम न आये*
*तुम न आये*
Kavita Chouhan
"मेरे देश की मिट्टी "
Pushpraj Anant
संचित अभिलाष
संचित अभिलाष
Dr. Ravindra Kumar Sonwane "Rajkan"
तिलक लगाया माथ पर,
तिलक लगाया माथ पर,
sushil sarna
बस एक ख्याल यूँ ही..
बस एक ख्याल यूँ ही..
हिमांशु Kulshrestha
नई नई आंखे हो तो,
नई नई आंखे हो तो,
पूर्वार्थ
टले नहीं होनी का होना
टले नहीं होनी का होना
Laxmi Narayan Gupta
अपने हर
अपने हर
Dr fauzia Naseem shad
*शुभ-यामिनी*
*शुभ-यामिनी*
*प्रणय प्रभात*
कोरोना
कोरोना
Nitesh Shah
सफ़र में लाख़ मुश्किल हो मगर रोया नहीं करते
सफ़र में लाख़ मुश्किल हो मगर रोया नहीं करते
Johnny Ahmed 'क़ैस'
हुआ है इश्क जब से मैं दिवानी हो गई हूँ
हुआ है इश्क जब से मैं दिवानी हो गई हूँ
Dr Archana Gupta
थियोसॉफिकल सोसायटी की एक अत्यंत सुंदर *यूनिवर्सल प्रेयर* है जो उसके सभी कार्यक्र
थियोसॉफिकल सोसायटी की एक अत्यंत सुंदर *यूनिवर्सल प्रेयर* है जो उसके सभी कार्यक्र
Ravi Prakash
अपनी अदा औरों से थोड़ी जुदा-जुदा है,
अपनी अदा औरों से थोड़ी जुदा-जुदा है,
पूर्वार्थ देव
निर्दोष कौन ?
निर्दोष कौन ?
Dhirendra Singh
देव अब जो करना निर्माण।
देव अब जो करना निर्माण।
लक्ष्मी सिंह
मैं भी डरती हूॅं
मैं भी डरती हूॅं
Mamta Singh Devaa
आज़ाद ग़ज़ल
आज़ाद ग़ज़ल
Ahtesham Ahmad
बाल कविता: बंदर मामा चले सिनेमा
बाल कविता: बंदर मामा चले सिनेमा
Rajesh Kumar Arjun
थोड़ा सा बिखरकर थोड़ा सा निखरकर,
थोड़ा सा बिखरकर थोड़ा सा निखरकर,
Shashi kala vyas
झूठा प्यार।
झूठा प्यार।
Sonit Parjapati
गांधी और गोडसे में तुम लोग किसे चुनोगे?
गांधी और गोडसे में तुम लोग किसे चुनोगे?
Shekhar Chandra Mitra
Loading...