Mahender Singh Poetry Writing Challenge 27 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Mahender Singh 15 Jun 2023 · 1 min read हलके किरदार किरदार ही हल्के थे हलुआ सुस्वादिष्ठ मगर एक चुटकी रेत मिट्टी किरकिरा भरे हुआ,शर्त बस एक थी, वहीं के वहीं पारखी पस्त थे, लोक लुभावने वायदे, कसीदे पढ़ते नारद, छुपा... Poetry Writing Challenge 237 Share Mahender Singh 15 Jun 2023 · 1 min read चित्त में जो शेर है टहलते बादलों का सौंदर्य टकराव से उत्पन्न गर्जना बादलों की गड़गड़ाहट तीव्र गर्जना के साथ अर्चना छुपी है इसमें भी संरचना मन विक्षुब्ध लुप्त तृष्णा छोड़ ना दे कहीं हृदय... Poetry Writing Challenge 281 Share Mahender Singh 15 Jun 2023 · 1 min read झूठ परोसा गया तुम्हारे *फ़साने *तराने बन गये, झूठ परोसा *जो सब *सद् गये, *भूखे रुखे *सूखे खाके सो गये, बेचैन *धर्म के नाम पे *जो उठे, *गुनगुना रहे थे, वे जो *फ़साने,... Poetry Writing Challenge 255 Share Mahender Singh 15 Jun 2023 · 1 min read व्यंग्य धार्मिक शैली पर आदमी खाना छोड़ देते हैं नाम व्रत उपवास लेते है, कोई हठ करके छोड़ देता है, कौन परवाह करें, आशा करता है, कोई आगे आये, एक गिलास नारियल पानी, उसके... Poetry Writing Challenge 181 Share Mahender Singh 15 Jun 2023 · 1 min read अतीत के झरोखे अतीत के झरोखे हैं, कुछ है, कुछ मिटा दिये गये कुछ सहायक, राह में रोड़े अधिक, फैला दिये गये मील के पत्थर, सहायक, मार्ग सही है, आगे बढें , हर... Poetry Writing Challenge 1 294 Share Mahender Singh 15 Jun 2023 · 1 min read दो छोर प्रेम और प्रेम संवाद रुकना नहीं चाहिए, संविदा इसकी नींव, बहस सदन की संकल्पना, सुख पावे है जीव. . कला कला से धराकला काहे की मरोड़. मत देखो सिर्फ़ राम कला, टूट जायेंगे... Poetry Writing Challenge 298 Share Mahender Singh 15 Jun 2023 · 1 min read प्रकृति है बेटी बेटी बचाओ बेटी पढाओ फूल पड़े हो, गर, थरा पर, कोई हाथ नहीं लगाता, बेटी को भी ऐसा ही,समझ लिया, फूल है बेटी, पर धरा पर, पड़ा हुआ, फूल नहीं,... Poetry Writing Challenge 135 Share Mahender Singh 15 Jun 2023 · 1 min read संवाद आत्म-अवलोकन पूछे अपने अपने मन से, क्या है प्रकृति, क्या है प्रवृति, उलझन देता है, सुलह भी, फिर कहाँ है विकृति, कोई इंद्र जीता नहीं, ये मन में भ्रम रहता है,... Poetry Writing Challenge 223 Share Mahender Singh 15 Jun 2023 · 1 min read भौतिकता ये कैसी विडंबना इस भौतिक युग की देन हुई भला, सब साधन मौजूद, . बढ़ने चाहिए सुख शांति अमन चैन भला सब उलट-पुलट हो चला, कलियुग का दोष दशो जरा,... Poetry Writing Challenge 341 Share Mahender Singh 15 Jun 2023 · 1 min read प्ररेक दृष्टिकोण आओ मिलकर करें, जरा विचार, मिलजुलकर बदल दें, भारत वा दुनिया में,सपनों का संसार. धर्म धरातल हमें बाँट सके ना, शिक्षित होकर,स्वावलंबन का धरे आधार, बन जायें आत्मनिर्भर,स्वच्छंदता का हो... Poetry Writing Challenge 275 Share Mahender Singh 15 Jun 2023 · 1 min read रास्ते पर घर घर हो जिनका, सड़क रास्ते पर, हो जाती है चांदी, कोई पड़ोसी नहीं सामने उनके, छोड़ सकेंगे, पानी सड़क पर, खड़ी होगी, मोटर कार, रेहडी सजेगी, साथ में, क्योंकि प्रशासन... Poetry Writing Challenge 186 Share Mahender Singh 15 Jun 2023 · 1 min read सफलता का श्रेय सफलता का श्रेय किसी एक *खुश *नसीब को मिलता है, असफलता में हर बदनसीब जिम्मेदार. सफलता में कौन आधार, कूटनीति मसालेदार, वरन् लोकतंत्र की हार, संविधान में हर जन-मानुष की... Poetry Writing Challenge 257 Share Mahender Singh 15 Jun 2023 · 1 min read हास्य व्यंग्य एक रात रास्ते से गुजरते हुए मुश्किल में जान पड़ गई, मुहल्ले वालो के लिए मैं भी अनजान था, गुजरते तो सभी हैं, पर मेरा, पैर फिसल गया, स्लोप से... Poetry Writing Challenge 190 Share Mahender Singh 15 Jun 2023 · 1 min read पाखंड को विराम पाखंड को विराम, निसर्ग को सलाम, त्यागी अब्दुल कलाम, लगे पाखंड को विराम, शरीर को मिले विश्राम, बातें भगवत दर्शन की, विज्ञापन कामुक होते है, भोजन शुद्ध शाकाहारी, भेंट चढ़े... Poetry Writing Challenge 185 Share Mahender Singh 15 Jun 2023 · 1 min read मैं कह न सका मैं कह न सका झिझक मेरे मन में थी, वह कह न सकी, लोक लाज के डर से, डरपोक कह आगे बढी, मन उसको भी था, शर्म सोलह श्रृंगार का... Poetry Writing Challenge 285 Share Mahender Singh 15 Jun 2023 · 1 min read महाझूठ के आधार वाला सच एक ऐसा सच, जिसका आधार ही महाझूठ, कब हुआ फैसला,,दो लड़ने वालों में, बदल बदल कर जीत जाते है, बोल कर एकदम सफेद झूठ, कुचले गये, निर्दोष बेचारे, हर कोई,,अशोक... Poetry Writing Challenge 115 Share Mahender Singh 15 Jun 2023 · 1 min read संवाद असत्य का सत्य पर, हार का जीत पर, बुराई के अच्छाई पर, सबल का निर्बल पर, धनी का निर्धन पर, हमेशा से , यही संवाद है तुम कुछ नहीं,,हम ही... Poetry Writing Challenge 112 Share Mahender Singh 15 Jun 2023 · 1 min read भूखे की बेबसी हर बार भूखे ही कुचले जाते हैं, बने हुए है, समाज में फर्श (जमीं) सबको असुविधा से बचाते हैं, फिर भी हर बार, भूखे ही कुचले जाते हैं, . खुद... Poetry Writing Challenge 217 Share Mahender Singh 15 Jun 2023 · 1 min read गृहस्थ आश्रम शांति की चाहत में, गया पहुंच जंगल में, मंगल की आश में, गये पहुंच दंगल में, मार्ग दर्शक थे जो बचपन के, वीणा कस, वाणी उनकी, सुनाते थे, परम पूज्य... Poetry Writing Challenge 206 Share Mahender Singh 15 Jun 2023 · 1 min read लकीर के फकीर लकीर के फकीर कब तस्वीर बना पाते है, जो बैठे है भाग्य के भरोसे, कब तकदीर अपनी लिख पाते है उठ कर सुबह, हस्त-रेखाओं के दर्शन कर कर्म करने वाले,... Poetry Writing Challenge 153 Share Mahender Singh 15 Jun 2023 · 1 min read तकलीफ और शिकायतें तकलीफ किसे बस शिकायतें हैं, जमाना गुजर गया तारीफ सुने हुए, होती गर तकलीफ, जरूर मिट गई होती, बस शिकायतों का चिट्ठा है, पढ कर प्रशासन में उच्च पद पाना... Poetry Writing Challenge 254 Share Mahender Singh 15 Jun 2023 · 1 min read मजदूर की पीड़ा दो वक्त की रोटी को जिंदगी छोटी पड़ जाती है, सुबह का निवाला खाकर, जब धूप निकल आती है, संध्या होने तक कष्ट सहा भरपूर, कष्ट और भी गहरा जाता... Poetry Writing Challenge 90 Share Mahender Singh 10 Jun 2023 · 1 min read दोहे - सुलह नज़र रख विचारों पर, खोज ले अपनी कमी उठने वाला तूफां उड़ा लेगा पैरों तले जमीं . चिंता भविष्य की त्याग तत्क्षण ले संभाल अनुभव अतीत का उतारे पार रखे... Poetry Writing Challenge 86 Share Mahender Singh 9 Jun 2023 · 1 min read दोहे - अटपटे वादा खिलाफी न करो, ये चरित्र पर दाग, बोलने से पहले सोच, भड़क न जाये आग. . अनुभवहीन के भाष सुन खोते अपने मूल. कुदरत की महिमा कांटों संग खिलते... Poetry Writing Challenge 1 326 Share Mahender Singh 9 Jun 2023 · 1 min read दोहे खटपट जैसे भाव मन में हैं वैसा ही धरातल तैयार, प्रेम भाव से सींचा करो उग आयेगा प्यार.. . जिस देश में गूंजती, महिलाओं की चीख, ऐसे दरिंदे देखो देते ,,... Poetry Writing Challenge 1 370 Share Mahender Singh 9 Jun 2023 · 1 min read दोहे - सरपट मानक मणियां पहनकर, पारख लाज लगाव, बिन सुध बुध ठोकर खाये,आये कौन बचाव,. . मनोरंजन के खेत में बोये जाते संज्ञाहरण बीज, मनोभंजन एक कला, लौट आयेंगे सब अजीज़. .... Poetry Writing Challenge 1 174 Share Mahender Singh 8 Jun 2023 · 1 min read दोहे - झटपट छोटी छोटी बातों पर, छिड़ रहा विवाद, अति जल्द सुलह करें ,शुरू करें संवाद. . संवाद पर विराम न लगे रखें हरदम याद, गुस्से से किनारे करें करना सदा फरियाद.... Poetry Writing Challenge 1 203 Share