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15 Jun 2023 · 1 min read

भौतिकता

ये कैसी विडंबना
इस भौतिक युग
की देन हुई भला,
सब साधन मौजूद,
.
बढ़ने चाहिए सुख
शांति अमन चैन भला
सब उलट-पुलट हो चला,
कलियुग का दोष दशो जरा,
.
कलपुर्जे और मशीन है आसीन,
मन मुताबिक पूरी हो तालीम,
खाली सब भर जाता है,
भक्ति हुई कितनी आसान,
.
बटन दबाओं रेडियो,चलचित्र,
ऑडियो विजवल चल जाता है,
घर है मंदिर, शयनकक्ष में आ जाता है,
पूजा में लीन मन, को ये भी नहीं भाता है,
.
आस्था जड़ (अचेतन/निर्जीव) में निहित रखता है
व्यर्थ पूजा पाठ होते देखा है,
अहंकारी ,हठधर्मी, सहज नहीं हो पाता है,
लाते कावड, धजा चढाते, भूखे मरते,
शरीर है साधन, मन साधक,
उपेक्षा सर्वप्रथम उसी को खंडित करता है,
.
बन सकता है, कलियुग, सत् दर्शक भला,
सब सुख साधनों का कर प्रयोग,,
नियत, नियति, निसर्ग, प्रकृति, प्रवृति
को आधार बनाकर पहेली सुलझाना है.
.
सबका भला चाहने वाला,
कोई कोई होता है,
परख चाहिए पहचान करण की,
आदमी तभी सुखी रह पाता है,

Language: Hindi
292 Views
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