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15 Jun 2023 · 1 min read

व्यंग्य धार्मिक शैली पर

आदमी खाना छोड़ देते हैं
नाम व्रत उपवास लेते है,
कोई हठ करके छोड़ देता है,
कौन परवाह करें,
आशा करता है,
कोई आगे आये,
एक गिलास नारियल पानी,
उसके जैसा ही पिलाने आये,
वारदात अंजाम तक पहुंच न पाई,
सांकेतिक कह कर पिण्ड छुड़ाई,
फिर दुबारा हिम्मत न जुटा पाये,
महात्मा गांधी से अलग थलग कर देती है,
अहिंसा की पराकाष्ठा मोहनदास की अपनी न थी,
फिर भी अभिनय ने, खूब वाहवाही जुटाई,
महात्माबुद्ध महावीर जैन जैसे युग प्रवर्तक,
लय प्रवाह दया धीरज शांति की बिसात बिछाई,
.
तुम्हारा घंटों नहाना, ज्योति जला कर बैठे रहना,
पार्लर की सीट पर,, उबटन लगाना,, सौंदर्य बोध तो नहीं,,
.
घण्टों खड़े रहना, दिन रात चल कर ध्वज चढाना
दो चार आदमी इकट्ठे होकर, गीता पढ़ा देना,,
किसी को मार देना, धर्म का प्रचार प्रसार ही तो है
.
यकीं नहीं होता,, धर्म की हानि, आजतक कभी हुई होगी,
सब जगह धार्मिक अनुष्ठान, चहुंओर धार्मिक स्थल,
हालात पर कब नज़र रखी जायेगी.

Language: Hindi
156 Views
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