◆【{{{ मै वहाँ नही जाऊँगा }}}】◆
उस शहर की ओर
मै नही जाऊँगा।
जहाँ बिकता है इंसान
मै वहाँ नही जाऊँगा।
उस गुलशन की ओर
मै नही जाऊँगा।
जहाँ टूटकर बिखर जाते हैं पत्ते
मै वहाँ नही जाऊँगा।
उस सफर की ओर
मै नही जाऊँगा।
जहाँ अपने पीछे रह जाएँ
मै वहाँ नही जाऊँगा।
उस प्रेम की ओर
मै नही जाऊँगा।
जहाँ महबूब बदल जाता है
मै वहाँ नही जाऊँगा।
उस दरिये की ओर
मै नही जाऊँगा।
जहाँ किनारे पर ही डूब जाऊँ
मै वहाँ नही जाऊँगा।
उस रास्ते की ओर
मै नही जाऊँगा।
जहाँ मंज़िल का अंत अंधेरा हो
मै वहाँ नही जाऊँगा।
उस ऊँचाई की ओर
मै नही जाऊँगा।
जहाँ अपने आँखों से ओझल हो जाते हैं
मै वहाँ नही जाऊँगा।
उस ख़ुशी की ओर
मै नही जाऊँगा।
जहाँ मेरे माँ-बाप को दुःख मिले
मै वहाँ नही जाऊँगा।
उस रोशनी की ओर
मै नही जाऊँगा।
जहाँ किसी का दिल जलाकर उजाला होता है
मै वहाँ नही जाऊँगा।
उस चमक की ओर
मै नही जाऊँगा
जहाँ पहुँचकर रिश्ते धुंधले हो जाएँ
मै वहाँ नही जाऊँगा।
उस महफ़िल की ओर
मै नही जाऊँगा।
जहाँ गरीब का मजाक उड़ाया जाता है
मै वहाँ नही जाऊँगा।
उस मकाँ की ओर
मै नही जाऊँगा।
जहाँ स्वार्थ का बसेरा हो
मै वहाँ नही जाऊँगा।
उस विकास की ओर
मै नही जाऊँगा।
जहाँ प्रकृति का दोहन हो
मै वहाँ नही जाऊँगा।
उस कर्म की ओर
मै नही जाऊँगा।
जहाँ मुझे धर्म से विचलित होना पड़े
मै वहाँ नही जाऊँगा।
उस विद्यालय की ओर
मै नही जाऊँगा।
जहाँ अपने फ़र्ज़ से विमुख होना सिखाया जाए
मै वहाँ नही जाऊँगा।
उस लक्ष्य की ओर
मै नही जाऊँगा।
जहाँ मुझे मानवता भूलनी पड़े
मै वहाँ नही जाऊँगा।
उस समाज की ओर
मै नही जाऊँगा।
जहाँ स्त्री कमज़ोर मानी जाती है
मै वहाँ नही जाऊँगा।
उस मोड़ की ओर
मै नही जाऊँगा।
जहाँ से वापसी का रास्ता न हो
मै वहाँ नही जाऊँगा।
कवि-वि के विराज़