Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 Dec 2022 · 1 min read

■ गीत / सामयिक परिप्रेक्ष्य में

😢 प्रतीकात्मक गीत :-
◆ हरियाती अमरबेल और सूखता पेड़◆
【प्रणय प्रभात】

कितनी गदगद है देखो कितना हर्षाती है।
पेड़ सुखा कर अमरबेल कितना इतराती है।।

■ परजीवी है उसे पता क्या जीवन के मानी।
क्या श्रम और सुकृत्य सभी से है वो अंजानी।
आलिंगन कर सब कुछ हरना नीति-नियत उसकी।
मतलब बस आरोहण से परवाह करे किसकी?
जिसे पकड़ ऊंचाई पाई उसे सुखाती है।
पेड़ सुखा कर अमरबेल कितना इतराती है।।

■ मोह विहग-वृन्दों से ना शुभ चिंतन है वन का।
किसी नीड से क्या लेना-देना उस नागन का?
उजड़े वन मर जाए परिंदे उसको क्या लेना?
उसे छीन लेना आता है कब भाया देना?
बनी रहे अपनी हरियाली उसे सुहाती है।
पेड़ सुखा कर अमरबेल कितना इतराती है।।

■ पता नहीं क्यों उदासीन है इस छल से माली।
देख रहा नित झरते पत्ते, सूख रही डाली।
तिल-तिल मरते एक विटप की चिंता यदि करता।
इसी बेल की क्षुद्र जड़ों में छाछ नहीं भरता?
लगता है कुछ मिलीभगत यह खेल कराती है।
पेड़ सुखा कर अमरबेल कितना इतराती है।।

■ दुरभि-संधि करते माली को और न अवसर दें।
आओ परजीवी बेलों को तहस-नहस कर दें।
आगत में ना ऐसी बेलें पेड़ों को जकड़ें।
जो छतनार वृक्ष हैं उनकी रक्षा को उमड़ें।
वन, उपवन आने वाली पीढ़ी की थाती है।
अब देखेंगे अमरबेल कब तक इतराती है।।”
【राष्ट्र रूपी छतनार वृक्ष को सुखाने पर आमादा परजीवियों अर्थात मुफ्तखोरों को सधिक्कार समर्पित】

2 Likes · 238 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

श्रेष्ठ विचार और उत्तम संस्कार ही आदर्श जीवन की चाबी हैं।।
श्रेष्ठ विचार और उत्तम संस्कार ही आदर्श जीवन की चाबी हैं।।
Lokesh Sharma
कह दो!
कह दो!
©️ दामिनी नारायण सिंह
#लघुकथा
#लघुकथा
*प्रणय*
हमें लिखनी थी एक कविता
हमें लिखनी थी एक कविता
shabina. Naaz
सूरज की संवेदना
सूरज की संवेदना
Dr B.R.Gupta
कविता क्या होती है...?
कविता क्या होती है...?
Rajdeep Singh Inda
तुझसे लिपटी बेड़ियां
तुझसे लिपटी बेड़ियां
Sonam Puneet Dubey
जिंदगी तुझे सुलझा लूंगा
जिंदगी तुझे सुलझा लूंगा
Anant Yadav
दोहे - नारी
दोहे - नारी
sushil sarna
"साम","दाम","दंड" व् “भेद" की व्यथा
Dr. Harvinder Singh Bakshi
कभी आओ मेरे शहर में
कभी आओ मेरे शहर में
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
अलविदा कह कर दिल टूट गया....
अलविदा कह कर दिल टूट गया....
Surya Barman
24/241. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
24/241. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
जब जागे तब सवेरा। ~ रविकेश झा
जब जागे तब सवेरा। ~ रविकेश झा
Ravikesh Jha
मेरे दिल की जुबां मेरी कलम से
मेरे दिल की जुबां मेरी कलम से
Dr .Shweta sood 'Madhu'
*उसी को स्वर्ग कहते हैं, जहॉं पर प्यार होता है (मुक्तक )*
*उसी को स्वर्ग कहते हैं, जहॉं पर प्यार होता है (मुक्तक )*
Ravi Prakash
रंज-ओ-सितम से दूर फिरसे इश्क की हो इब्तिदा,
रंज-ओ-सितम से दूर फिरसे इश्क की हो इब्तिदा,
Kalamkash
गुजरे ज़माने वाले।
गुजरे ज़माने वाले।
Taj Mohammad
पुस्तक समीक्षा
पुस्तक समीक्षा " चुप्पी का शोर "
Shyam Sundar Subramanian
गौरैया
गौरैया
सोनू हंस
*Lesser expectations*
*Lesser expectations*
Poonam Matia
कभी जो अभ्र जम जाए
कभी जो अभ्र जम जाए
Shubham Anand Manmeet
बेशक उस शहर में हम अनजान बन के आए थे ।
बेशक उस शहर में हम अनजान बन के आए थे ।
Karuna Goswami
मैं नारी हूँ
मैं नारी हूँ
Sandhya Chaturvedi(काव्यसंध्या)
ममता का रूप है नारी
ममता का रूप है नारी
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
हाशिए पर ज़िंदगी
हाशिए पर ज़िंदगी
Dr. Rajeev Jain
जैसी बदनामी तूने मेरी की
जैसी बदनामी तूने मेरी की
gurudeenverma198
सत्ता - सुख सबको अच्छा लगता है,
सत्ता - सुख सबको अच्छा लगता है,
Ajit Kumar "Karn"
मैंने खुद के अंदर कई बार झांका
मैंने खुद के अंदर कई बार झांका
ruby kumari
" प्रश्न "
Dr. Kishan tandon kranti
Loading...