होश में आओ
गरीबों की हाय लगेगी होश में आ जाओ
देखो वरना गाज गिरेगी होश में आ जाओ
ये जो धंधे काले-काले करते हो तुम
इक दिन फिर कलई खुलेगी होश में आ जाओ
ए सी के कमरों में बैठ लेते हो जो निर्णय
किस पर क्या बीतेगी होश में आ जाओ
झूठ मूठ का बनते फिरते केवल रहनुमा
राते किसकी कैसे गुजरेंगीं होश में आ जाओ
तुम्हारे बंगलो में हैं सारे नौकर चाकर
इक बूढ़ी विधवा पेट कैसे भरेगी होश में आ जाओ
उम्मीदों पे खरे उतरते न कभी तुम
सरेआम इज्जत उतरेगी होश में आ जाओ
बन जाते हो तानाशाह पा कर के सत्ता
मद की माया भी बिखरेगी होश में आ जाओ
जिन पर ज़ुल्म-दर-ज़ुल्म करता फिरता
वो कौम मौत से क्या डरेगी होश में आ जाओ
अमीरी, कट्टरता, वहशत उतार फेंको निश्छल
वरना जनता तय करेगी होश में आ जाओ
अनिल कुमार निश्छल