हिम्मते मर्दा मददे खुदा
कितनो की तकदीर बदलनी है तुम्हें,
कितनो को रास्ते पे लाना है तुम्हें…
अपने हाथों की लकीरों को मत देख,,,
इन लकीरों से बहुत आगे जाना है तुम्हें…
मेधावि हो तूम भारत के
आरक्षण मुक्त भारत बनाना है तुम्हेँ …
मातृभूमी के हो सपूत तूम
इसे भ्रष्टाचार से मुक्ति दिलाना है तुम्हेँ ॥
जय मेधा , जय मेधावि भारत !
पं.संजीव शुक्ल “सचिन”