हिमाचल प्रदेश की एक प्रमुख नदी सतलुज
हिमाचल प्रदेश की एक प्रमुख नदी सतलुज
भारत के मानचित्र में एक अत्यंत सौंदर्य से परिपूर्ण व समृद्ध, फल-फूलों, वनों से घिरे पर्वतों वाला एक राज्य हिमाचल प्रदेश है। यहां के लोग भोले -भाले और अधिक परिश्रमी है। यहां के 12 जिलों में अलग-अलग भाषा व पहनावा है । यहां की समृद्धि का राज यहां की जलवायु व वातावरण है। यहां पानी की अधिकता है। यहां के पर्वत प्रतिवर्ष बर्फ से ढके रहते हैं और बर्फ पिघल कर नालों और झरनों का रूप ले लेते हैं। कहीं -कहीं पानी भूमिगत हो कर कूंए और चश्मों से प्रस्फुटित होता हैं। यहां की बारह मास की हरियाली अत्यंत शोभनीय और रमणीय है। और हिमाचल प्रदेश में प्रमुख पांच नदियां बहती हैं।
1-चिनाव 2- यमुना 3- रावी 4- व्यास 5- सतलुज
आज अभी सतलुज नदी के बारे ही बात करतें हैं।
सतलुज नदी का वर्णन पुराणों में भी मिलता है।
सतलुज नदी सदैव शुद्ध और सदा प्रवाहित होने वाली नदी है। इसका पौराणिक नाम शतद्रु है और पंजाबी में इसे सतलज कहते हैं और जिसकी लम्बाई हिमाचल प्रदेश और पंजाब में सबसे अधिक है।
सतलुज नदी का उद्गम दक्षिण पश्चिम तिब्बत में 4,600मी० की ऊंचाई पर मानसरोवर के निकट राक्षस ताल से हुआ, वहां इसका नाम लोगचेन खम्बाव है। सबसे पहले यह पश्चिम की ओर मुड़ कर कैलाश पर्वत के ढाल के पास बहती है। यहां से निकल कर यह हिमाचल प्रदेश के शिपकी (किन्नौर) में प्रवेश करती है। सतलुज नदी किन्नौर, रामपुर ,(शिमला) कुल्लू, सोलन, मंडी की सीमाओं से लगती हुई बिलासपुर में बहती है। इसका बहाव उद्गम स्थान से उत्तर तिब्बत से, किन्नौर उत्तर पूर्व से होते दक्षिण बिलासपुर से पश्चिम की ओर पंजाब से पाकिस्तान तक का है। सतलुज की सहायक नदियां बासपा , स्पीती ,नोगली खड्ड और स्वां है।बासपा नदी सतलुज से कड़छम(किन्नौर में) ,नोगली खड्ड रामपुर बुशहर के पास सतलुज में मिलती है। इस नदी की पूरी लम्बाई 2459 कि०मी० है। सतलुज नदी चिनाव से मिलकर पंचनद का निर्माण करती है।
सतलुज नदी की कहानी–
पौराणिक कथाओं के अनुसार हिमाचल प्रदेश में सतलुज लाने का श्रेय वाणासुर को जाता है। जिस प्रकार गंगा जी को धरती पर लाने का श्रेय भागीरथी जी को जाता है और गंगा का नाम भागीरथी हो गया, परन्तु सतलुज का नाम वाणासुर के नाम पर नहीं पड़ा।
एक कथा के अनुसार कहा जाता है कि पहले किन्नर (किन्नौर )दो भागों में बंटा था । एक की राजधानी शोणितपुर (सराहन) और दूसरे की राजधानी कामरु थी । इन दोनों राज्यों में शत्रुता अधिक थी । इन दोनों में प्रायः आपसी युद्ध हुआ करते थे ।कामरु में तीन भाई राजकाज का काम करते थे । वाणासुर को प्रजा सहित मारने के लिए तीनों भाइयों ने किन्नर देश में बहने वाली नदी में अत्यधिक जहर घोल दिया। जिससे असंख्या लोग पशु -पक्षी मर गए और भयंकर अकाल पड़ गया। तथा वे तीनों भाई भी मर गए। बाणासुर को इसका बहुत दुख हुआ ।उसके राज्य में पानी का अकाल पड़ गया। तब उसने भगवान शिव की तपस्या करनी आरंभ की। भगवान शिव ने बाणासुर को आदेश दिया कि वह उत्तर की ओर जाए। कई दिनों की कठिन यात्रा के बाद वह एक झील के किनारे पहुंचा। यह मानसरोवर झील थी ।झील के पूर्व दिशा में एक झरना गिर रहा था जो वास्तव में सांगपो नदी थी। झील के उत्तर की ओर जो झरना गिर रहा था ,उसका पानी नीले रंग का था। झील का आकार भी समुद्र जैसा था । प्राकृतिक सौंदर्य अति रमणीक था ।वाणासुर के देखते-ही-देखते सरोवर में कुछ हलचल होने लगी,उसका पानी आकाश की ओर बढ़ने लगा। तभी भगवान शिव जी ने पद प्रहार किया, जिससे कैलाश पर्वत की एक चोटी धरती पर मानसरोवर के निकट आ गिरी। सरोवर में भूचाल सा आ गया। सांगपो नदी का बहाव बदल गया और यह पूर्व की ओर बहने लगी। इस प्रकार ब्रह्मपुत्र नदी स्त्रोत मानसरोवर झील बन गई।
लाल रंग के पानी का बहाव दूसरी ओर हुआ और वह राकस ताल(राक्षस ताल) में जा गिरा, उसने सिंधु नदी का रूप ले लिया। अब बचा पीले रंग का पानी।
बाणासुर जिस रास्ते से आया था उसे जल ने भी वही दिशा ले ली उसे लगा भगवान शिव ने उसे यह नदी दे दी है अतः बाणासुर आगे -आगे चला और शिपकिला का रास्ता लिया ।नदी भी उसके पीछे- पीछे आने लगी। शिपकी से कड़छम होते हुए वाणासुर अपनी राजधानी शोणितपुर पहुंच गया। यहां पहुंच कर वाणासुर ने नदी को श्रद्धा पूर्वक नमन किया और कहा कि माता आगे का रास्ता आप स्वयं बनाएं। आगे का रास्ता नदी रामपुर बुशहर होते हुए बिलासपुर तक और पंजाब से पाकिस्तान तक स्वयं बनाती चली गई।
सतलुज नदी पर बने बांध व परियोजना -भाखड़ा बांध और नाथपा झाकड़ी जलविद्युत परियोजना कोलबांध।
भाखड़ा -नंगल बांध भारत की एक प्रमुख नदी घाटी परियोजना है ।यह बांध दो बांध भाखड़ा और नंगल बांध से मिलकर बना है ।भाखड़ा बांध नंगल बांध से 13 किलोमीटर दूर बना है ।भाखड़ा -नंगल बांध भूकंपीय क्षेत्र में स्थित विश्व का सबसे ऊंचा गुरुत्वीय बांध है। इस बांध के पीछे जिला बिलासपुर में एक विशाल झील सतलुज नदी के ठहराव से बनी है ।जिसका नाम गोविंद सागर झील है।
ललिता कश्यप गांव सायर जिला बिलासपुर हिमाचल प्रदेश