हाँ ये सच है
हाँ ये सच है,
तुम मिले थे कभी
गर्मी में झुलसी देह को
शाम की पुरवा हवा सा
जैसे हवा को बाँध नहीं सकते
सदा के लिए
तुम्हें भी रोक नहीं पाए ।
किन्तु तुम्हारा मिलना
उतना ही सच है
जितना सूरज का उगना
रात में चाँद का खिलना
झूठ नहीं था वो अपनापन
वो अहसास
बस समय ने चाँद और सूरज की तरह
छिपा दिया हमारे रिश्ते को
कर्तव्यों जिम्मेदारियों की आड़ में
किन्तु मेरे हृदय में
तुम्हारा उन्मेष
सदा के लिए बस गया।
मैं खुश हूँ कि कभी तो
किसी ने मुझे पूरा समझा था
जिसके साथ बीते पलों में
मुझे मेरी ज़िन्दगी मिली थी।