बुझलहूँ आहाँ महान छी मुदा, रंगमंच पर फेसबुक मित्र छी!
राधा और मुरली को भी छोड़ना पड़ता हैं?
*आर्य समाज और थियोसॉफिकल सोसायटी की सहयात्रा*
पाया तो तुझे, बूंद सा भी नहीं..
*जीवन में जब कठिन समय से गुजर रहे हो,जब मन बैचेन अशांत हो गय
हर पल ये जिंदगी भी कोई ख़ास नहीं होती।
एकदम सुलझे मेरे सुविचार..✍️🫡💯
💐प्रेम कौतुक-342💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
ग़ज़ल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
(4) ऐ मयूरी ! नाच दे अब !
जिंदगी बेहद रंगीन है और कुदरत का करिश्मा देखिए लोग भी रंग बद
इतनी वफ़ादारी ना कर किसी से मदहोश होकर,